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जब सीता के स्वयंवर में प्रभु श्रीराम ने तोड़ा था शिव जी का 'असाधारण' धनुष , जानें पूरी कथा

By मेघना वर्मा | Updated: November 9, 2019 12:50 IST

सीता जी के स्वयंवर में प्रभु श्रीराम के तोड़े गए धनुष की भी अपनी एक अलग कहानी है। शास्त्रों की मानें तो सीता माता के स्वयंवर में कोई ऐसा-वैसा धनुष नहीं था। बल्कि वर धनुष खुद भोले बाबा का था।

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ठळक मुद्देमाना जाता है कि राजा जनक भगवान शिव के वंशज थे और भोले बाबा का धनुष उनके महल में हमेशा रहता था।शिव जी के इस चमत्कारिक धनुष के संचालन की विधि राजा जनक, माता सीता, श्री परशुराम और आचार्य श्री विश्वामित्र को ही आता था।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम के कई सारे प्रसंग हिंदू धर्म रामायण में मिलते हैं। इसे पढ़कर आपको ना सिर्फ ज्ञान की प्राप्ति होती है बल्कि आपको प्रभु श्रीराम से जुड़ी बहुत सारी चीजें सुनने और जानने को मिलेंगी। प्रभु श्री राम का एक और प्रसंग मिलता है उस समय का जब सीता मां का स्वयंवर हो रहा था। 

सीता जी के स्वयंवर में प्रभु श्रीराम के तोड़े गए धनुष की भी अपनी एक अलग कहानी है। शास्त्रों की मानें तो सीता माता के स्वयंवर में कोई ऐसा-वैसा धनुष नहीं था। बल्कि वर धनुष खुद भोले बाबा का था। इसीलिए वह धनुष अपने आप में अनोखा था। आइए आपको बताते हैं सीता जी के स्वयंवर से जुड़ी कुछ बातें।

माना जाता है कि राजा जनक भगवान शिव के वंशज थे और भोले बाबा का धनुष उनके महल में हमेशा रहता था। एक बार राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर की घोषणा का ऐलान किया। साथ ही ये भी ऐलान कर दिया कि जो भी धुनुष की प्रत्यंचा को चढ़ा देगा, उसी से सीता पुत्री का विवाह होगा। 

शिव धनुष कोई साधारण धनुष नहीं था। बल्कि उस काल का ब्रह्मास्त्र था। शंकर जी के परम भक्त कहे जाने वाला रावण भी उस धनुष को पाने के लिए सीता के स्वयंवर में आया था। रावण को इस बात का भरोसा था कि शिव भक्त होने के कारण वह धनुष तो हासिल करेगा और साथ ही माता सीता भी उसी की होंगी।

शिव जी के इस चमत्कारिक धनुष के संचालन की विधि राजा जनक, माता सीता, श्री परशुराम और आचार्य श्री विश्वामित्र को ही आता था। मगर राजा जनक को इस बात का डर सता रहा था कि अलग धनुष रावण के हाथ पर लग गया तो इस सृष्टि का विनाश हो जाएगा। इसीलिए विश्वामित्र ने भगवान राम को उस धनुष के संचालन की विधि बता दी थी।

मान्यता है कि जब श्रीराम ने वह धनुष तोड़ दिया तब परशुराम को बहुत क्रोध आया था मगर राम के भाई लक्ष्मण और आचार्य विश्वामित्र के समझाने के बाद उनका गुस्सा शांत हुआ। धनुष तोड़ने के बाद सीता मां का विवाह अयोध्या के राजा श्रीराम के साथ हुआ। 

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