Shravan 2019: शिवलिंग पर हल्दी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है? इन 4 चीजों से भी कभी नहीं करें भोलेनाथ की पूजा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 15, 2019 10:32 AM2019-07-15T10:32:50+5:302019-07-15T10:34:21+5:30

भगवान शिव को पूजन में बेल पत्र, धतुरा, गाय का शुद्ध कच्चा दूध, घी, चंदन आदि बहुत प्रिय है लेकिन उन्हें हल्दी नहीं चढ़ाया जाता। यह बात दिलचस्प इसलिए है कि हल्दी को हिंदू धर्म में शुद्ध और पवित्र माना गया है।

Shravan 2019 why shiv pooja me haldi kyu nahi five thing which should not offered to Lord Shiva | Shravan 2019: शिवलिंग पर हल्दी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है? इन 4 चीजों से भी कभी नहीं करें भोलेनाथ की पूजा

भगवान शिव की पूजा में रखें कुछ बातों का ध्यान (फाइल फोटो)

Highlightsसावन में भगवान शिव की पूजा के दौरान कई बातों का रखना चाहिए ध्यानभगवान शिव की पूजा के दौरान हल्दी, सिंदूर, तुलसी आदि नहीं चढ़ाना चाहिए

भगवान शिव के सबसे प्रिय सावन के महीने की शुरुआत 17 जुलाई से इस साल होने जा रही है। यह ऐसा मौका होता है जब हर भक्त भगवान भोलेनाथ की भक्ति में डूबा होता है। भक्तों की कोशिश होती है कि वे भोलेनाथ को प्रसन्न करें और उनका आशीर्वाद हासिल कर सकें। सावन का महीना इसका सबसे उत्तम समय है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने से उनका आशीर्वाद जीवन भर साधक को मिलता है। वैसे भी, पुराणों और शास्त्रों में शिव को भोलेनाथ कहा गया है। इसके मायने ये हुए शिव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की पूजा करने में कुछ  सावधानियां भी बरतनी चाहिए। कई ऐसी चीजें हैं जो पूजा के दौरान उन्हें अर्पण नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शिव रूठ जाते हैं।

भगवान शिव नहीं चढ़ाएं हल्दी

भगवान शिव को पूजन में बेल पत्र, धतुरा, गाय का शुद्ध कच्चा दूध, घी, चंदन आदि बहुत प्रिय है लेकिन उन्हें हल्दी नहीं चढ़ाया जाता। यह बात दिलचस्प इसलिए है कि हल्दी को हिंदू धर्म में शुद्ध और पवित्र माना गया है। इसके बावजूद इसका उपयोग भगवान शिव के लिए नहीं किया जाता है। दरअसल, धर्म ग्रंथों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस पर शीतल चीजें चढ़ाई जाती हैं। वहीं, हल्दी को  स्त्रियोचित वस्तु माना गया है।

शिवलिंग पर नहीं चढ़ाएं सिंदूर

भगवान शिव पर सिंदूर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। हालांकि, यह दूसरे देवताओं  जैसे हनुमानी जी को खूब प्रिय है। हिंदू धर्म में सिंदूर विवाहित महिलाओं के प्रतीक हैं। महिलाएं अपने पति की लंबे जीवन की कामना के लिए सिंदुर लगाती है जबकि शिव विनाशक के प्रतीक हैं। इसलिए उन्हें सिंदुर चढ़ाना अशुभ माना गया है। 

शिवलिंग की पूजा तुलसी से नहीं करें

भगवान शिव पर तुलसी के पत्ते भी नहीं चढ़ाए जाते हैं। एक पौरणिक कथा के अनुसार जलंधर नाम के एक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से ही तुलसी का जन्म हुआ। कथा के अनुसार जलंधर से सभी देवता त्रस्त थे। जलंधर को वरदान था कि जब तक उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता रहेंगी, तब तक उसे कोई भी नहीं हरा सकता था। यह देख देवताओं ने भगवाव विष्णु से कोई उपाय निकालने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने इसके बाद वृंदा के पति का वेष धारण किया और उनके पति धर्म को भ्रष्ट कर दिया। इसके बाद भगवान शिव ने जलंधर का वध किया। वृंदा को जब ये मालूम हुआ तो उन्होंने यह शाप दिया कि वे शिव की पूजन सामग्री में कभी नहीं शामिल होंगी।

शंख से नहीं चढ़ाए शिव को जल, खंडित चावल भी वर्जित

मान्यता है कि भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया। शंखचूड़ भगवान विष्णु का भक्त था और शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भगवान विष्णु की पूजा शंख से की जाती है लेकिन शिव की पूजा इससे नहीं करते। भगवान शिव को टूटे गुए चावल भी नहीं चढ़ाने चाहिए। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना जाता है।

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