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Shivratri In April 2020: जब शिव के क्रोध से भस्म होने वाली थी धरती, माता पार्वती ने ऐसे किया था उनके गुस्से को शांत-पढ़े शिवरात्रि की व्रत कथा

By मेघना वर्मा | Updated: April 21, 2020 16:49 IST

शिवरात्रि के दिन को प्राचीन काल से ही शुभ माना जाता है। हिंदू शास्त्रों में शिवरात्रि के व्रत का महत्व बताया गया है।

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ठळक मुद्देशिवरात्रि का व्रत बिना कथा पढ़े अधूरा माना जाता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव खुश होते हैं।

आज वैशाख माह की शिवरात्रि है। सनातन धर्म में शिवरात्रि को काफी महत्वपूर्ण बताया जाता है। भगवान के इस दिन को लोग पूरी भक्ति और श्रद्धा से मनाते हैं। इस बार लॉकडाउन की वजह से लोगों को घर पर ही भगवान शिव की उपासना करनी होगी। 

माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव खुश होते हैं और उनकी कृपा साधक पर बरसती है। शिव को चतुर्दशी तिथि का स्वामी भी कहा गया है। यही कारण है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन शिवजी के साथ-साथ उनके परिवार की भी अराधना करनी चाहिए। 

शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

शिवरात्रि - 21 अप्रैलचतुर्थी तिथि प्रारंभ - 03:11 AMचतुर्थी तिथि समाप्त - 05:37 AM (22 अप्रैल)

शिवरात्रि के व्रत महत्व

शिवरात्रि के दिन को प्राचीन काल से ही शुभ माना जाता है। हिंदू शास्त्रों में शिवरात्रि के व्रत का महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती ने भी शिवरात्रि का व्रत करके भगवान शिव का पूजन किया था। 

शिवरात्रि की व्रत कथा

शिवरात्रि का व्रत बिना कथा पढ़े अधूरा माना जाता है। पहली कथा के अनुसार एक बार भगवान भोले के क्रोध के कारण पूरी पृथ्वी जलकर भस्म होने की स्थिति में थी। उस समय माता पार्वती ने भगवान शिव को शांत करने के लिए उनसे प्रार्थना की थी। माता पार्वती की तपस्या से शिव प्रसन्न हुए और शांत हो गए। तभी से कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की उपासना की जाती है। जिसे शिवरात्रि कहते हैं। 

वहीं एक दूसरी कथा के अनुरूप एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मतभेद हुआ कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। इस बात को लेकर मन-मुटाव हो गया। तब शिव अग्नि के स्तम्भ के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि जो इस प्रकाश स्तम्भ का सिरा देख लेगा वो श्रेष्ठ होगा। मगर किसी को भी वो अग्नि सिरा नहीं दिखता। फिर भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास होता है। वो शिव से अपनी भूल पर क्षमा मांगते हैं। इस प्रकार बताया जाता है कि शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य का अंहकार समाप्त होता है। 

ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से करता है, उसके सभी पाप नष्ट होते  हैं। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान और विद्या प्राप्त कर आखिर में शिवलोक जाता है।

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