Sharad Purnima 2021 Date: शरद पूर्णिमा कब है? जानें तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: October 17, 2021 10:17 AM2021-10-17T10:17:21+5:302021-10-17T10:22:54+5:30
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर, मंगलवार के दिन पड़ेगी। हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी से अमृत की बरसात होती है। इसी कारण इस दिन बनाई जाने वाली खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है ताकि उसमें अमृत वर्षा हो सके और फिर इस खीर को खाया जाता है।
हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन खीर बनाने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा की रात को खीर चांद की रोशनी में रखने के पीछे वैज्ञानिक कारण है यह कि इस खीर में अमृत के गुण समा जाते हैं, जिसके सेवन करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एक अन्य मान्यता है कि शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु का आरंभ हो जाता है। सर्दियों की शुरूआत हो जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरू - 19 अक्टूबर को शाम 7 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 20 अक्टूबर को रात 8:20 बजे तक
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, जलकुंड में स्नान ध्यान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो पाए तो आप नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल डालकर नहा सकते हैं। अब पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें एक चौकी रखें और चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इस चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। मां को धूप, दीप, नैवेद्य और सुपारी आदि अर्पित करें। इसके बाद लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। शाम को भगवान विष्णु जी की भी पूजा करें और तुलसी के समक्ष दीपक जलाएं। चंद्र देव को अर्घ्य दें। खीर बनाकर चंद्रमा की रौशनी में रखें। कुछ घंटों के बाद उस खीर को प्रसाद के रूप बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
शरद पूर्णिमा का महत्व
वैसे तो हर मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि की विशेषता यह है कि इसी दिन से सर्दियों की शुरूआत होने लगती है। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण शरद पूर्णिमा को धनदायक पूर्णिमा तिथि भी माना जाता है। यह चंद्रमा से अमृत वर्षा के साथ साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद पाने का दिन है।