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शनि अमावस्या 2018: इस बार अमावस्या पर बन रहा है शुभ संयोग, जरूर करें ये उपाय

By धीरज पाल | Updated: March 17, 2018 08:06 IST

पंचाग के मुताबिक चैत्र मास में शनि अमावस्या का यह संयोग 12 साल के बाद आया है।

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हिंदू धर्म में अमावस्या ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से बेहद ही महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अमावस्या के दिन चंद्रमा लुप्त हो जाता है। अमावस्या हर धार्मिक कार्य करने के लिए शुभ बताई गई है। इस बार चैत्र अमावस्या 17 दिन शनिवार को पड़ रहा है। इस शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन पड़ रही अमावस्या का ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक बहुत अधिक महत्व माना जाता है। मान्यता है कि शनि दोष निवारण के लिये शनि अमावस्या बहुत ही सौभाग्यशाली होती है।

बन रहा है अच्छा संयोग 

हिंदू धर्म में माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए अच्छा संयोग होना चाहिए। पंचाग के मुताबिक चैत्र मास में शनि अमावस्या का यह संयोग 12 साल के बाद आया है। साल 2018 के बाद भी सात साल पश्चात 2025 में चैत्र मास में शनि अमावस्या होगी। इस तिथि पर प्रयागराज सहित समस्त धार्मिक व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार शनि देव की पूजा सूर्यास्त के बाद की जानी चाहिए। शनि मंदिर के पुजारी का मानना है कि शनि देव के दर्शन मात्र से ही वे प्रसन्न नहीं होते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए आपको उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। अगर आप बिना मंत्र के उनकी उपसना या पूजा पाठ करते हैं तो आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी। शनि की साढ़ेसाती से बचने से लेकर उनकी प्रार्थना करने तक के लिए अलग-अलग मंत्र ग्रंथों में मौजूद हैं जिनका जाप करने मात्र से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं।

अमावस्या के दिन शनि के साढ़ेसाती से बचने के उपाय 

 इस अमावस्या का महत्व इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि जो जातक वर्तमान में शनि की चाल से नकारात्मक रूप से प्रभावित हैं। विशेषकर जिन जातकों की कुंडली में शनि की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतरदशा चल रही है या फिर जिन पर शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढ़ैया चल रही है। या जिन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट शनि के कारण पंहुच रहा है वे जातक इस शनि अमावस्या पर शनिदेव की साधना कर उनके कोप से बच सकते हैं।

1. शनि के साढ़ेसाती से बचने के लिये शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की साधना करनी चाहिए ।2. शनिदेव की शांति के लिये शनि सत्वराज का पाठ करें। शनि स्त्रोतम् या शनि अष्टक का पाठ भी कर सकते हैं।3. शनिदेव के बीज मंत्र का जप करने एवं शनिदेव संबंधी वस्तुओं का दान करने से भी शनि देव की कृपा प्राप्त हो सकती है।

साढ़ेसाती से बचने के लिए

ये भी पढ़ें: शनिदेव की साढ़ेसाती के पीछे है ये पाौराणिक कथा, बचने के लिए जरूर करें ये उपाय

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात । ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः। ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

बुरे कर्मों और साढ़ेसाती के परकोप से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। कहते हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। आप शैतानी सोच से बचना चाहते हैं या आने वाले समय को सुखद बनाना चाहते हैं तो आपको प्रत्येक शनिवार इस मंत्र का जाप करना चाहिए। 

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।। गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च। आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

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