सावन का महीना शुरू हो गया है और आज यानी 26 जुलाई को सावल का पहला सोमवार (Sawan Somvar 2021) है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक श्रावण मास से ही व्रत और पर्वों की शुरुआत होती है।
हिन्दू समाज में श्रावण मास का अलग ही महात्म होता है। सावन का ये पूरा माह भगवान शिव को समर्पित होता है। सावन माह में पवित्र नदियों में स्नान और भगवान शिव के रुद्राभिषेक से भी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामना पूरी होती है।
सावन सोमवार का महत्व
सावन माह का ऐसे तो हर दिन बेहद पवित्र माना गया है लेकिन सोमवार के दिन का महत्व बेहद विशेष है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करनी चाहिए।
ऐसा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। वहीं कुंआरी कन्याएं भी अच्छे वर के लिए सोमवार का व्रत करती हैं भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है।
अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चने आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए।
अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है।
सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है, इसके अलावा इसको अन्य महीनों में भी किया जा सकता है। इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन के सोमवार की पूजा विधि
सुबह स्नान करने के बाद शिव मंदिर जाएं। घर से नंगे पैर जाएं और घर से ही लोटे में जल भरकर ले जाएं। लॉकडाउन में आप घर पर भी जल चढ़ा सकते हैं।
शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग प्रणाम करें। खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें। सायंकाल भगवान के मंत्रों का फिर जाप करें तथा उनकी आरती करें।
पूजा की समाप्ति पर केवल जलीय आहार ग्रहण करें। अगले दिन अन्न वस्त्र का दान कर व्रत का पारण करें।
साल 2021 में पड़ेंगे 4 सोमवार
इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। दरअसल पंचांग के अनुसार सावन माह की शुरुआत 25 जुलाई, 2021 से हो रही है। ये रविवार का दिन होगा। इसके बाद श्रावण-2021 का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ेगा। देखें सावन सोमवार-2021 की पूरी लिस्ट...
सावन का पहला सोमवार- 26 जुलाई सावन का दूसरा सोमवार- 2 अगस्तसावन का तीसरा सोमवार- 9 अगस्त सावन का चौथा और आखिरी सोमवार -16 अगस्त
सोमवार व्रत कथा (Somvar vrat Katha)
कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक नगर में बहुत धनवान साहूकार रहता था। उसको हालांकि एक बहुत बड़ा दुख ये था कि उसके कोई पुत्र नहीं थे। पुत्र की प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार को शिवजी का व्रत और पूजन किया करता था। साथ ही शाम को शिव मंदिर में जाकर दीपक भी जलाया करता था।
उसके उस भक्तिभाव को देखकर एक बार पार्वती माता ने ने शिवजी से कहा कि साहूकार आप का अनन्य भक्त है और पूजन बड़ी श्रद्धा से करता है। इसलिए इसकी मनोकामना पूर्ण करनी चाहिए ।
पार्वती जी का ऐसा आग्रह देख शिवजी ने कहा इसके कोई पुत्र नहीं है इसी चिन्ता में यह दुःखी रहता है। इसके भाग्य में पुत्र नहीं है पर फिर भी मैं इसे पुत्र की प्राप्ति का वर दे सकता हूं लेकिन यह केवल 12 साल जीवित रहेगा।
यह सब बातें साहूकार सुन रहा था। इससे उसको न कुछ प्रसन्नता हुई और न ही दुख हुआ। वह पहले जैसा ही शिवजी का व्रत और पूजन करता रहा। कुछ दिनों के बाद साहूकार की स्त्री गर्भवती हुई और दसवें महीने में उसने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया।
बालक जब 11 साल का हुआ तो उसकी माता ने उसके पिता से विवाह आदि के लिए कहा तो साहूकार कहने लगा कि अभी वो इसका इसका विवाह नहीं करेंगे और उसे पढ़ने के लिए काशी भेजेंगे।
इसके बाद साहूकार ने बालक के मामा को बुला करके उसको बहुत सा धन देकर कहा तुम उस बालक को काशी जी पढ़ने के लिये ले जाओ और रास्ते में जिस स्थान पर भी जाओ यज्ञ तथा ब्राह्मणों को भोजन कराते जाओ।