Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: आज है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

By मेघना वर्मा | Published: October 17, 2019 09:08 AM2019-10-17T09:08:19+5:302019-10-17T09:08:19+5:30

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी महिलआएं करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से विग्घ्नहर्ता सारी परेशानियां दूर कर देते हैं और संतान-परिवार को खुशहाली देते हैं।

sankashti ganesh chaturthi vrat 2019 date puja vidhi shubh muhurt and significance | Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: आज है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: आज है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

Highlightsसंकष्टी चतुर्थी का व्रत भी महिलआएं करती हैं। 17 अक्टूबर को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है।

देश भर में आज करवाचौथ मनाया जा रहा है मगर आज ही के दिन यानी 17 अक्टूबर को ही संकष्टी गणेश चतुर्थी भी पड़ गई है। करवाचौथ में गौरी के साथ गणेश की पूजा भी की जाती है वहीं संकष्टी चतुर्थी पूरी तरह गणेश को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करके आप भगवान गणेश की कृपा पा सकते हैं। 

हिन्दू पंचाग की मानें तो कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाया जाता है। इसे सकट चौथ भी कहते हैं। इस दिन प्रथम पूजनीय गणेश भगवान की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है साथ ही कई कामों में सफलता भी मिलती है। वहीं इस साल करवाचौथ और सकर चतुर्थी का बेहतरीन संयोग बन रहा है। 

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी महिलआएं करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से विग्घ्नहर्ता सारी परेशानियां दूर कर देते हैं और संतान-परिवार को खुशहाली देते हैं। इस दिन पूजा करने से गणेश जी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिन गणेश को अर्घ्य देकर चांद की पूजा भी की जाती है।

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

प्रारंभ: 17 अक्टूबर को सुबह 06:48 बजे से।

समापन: 18 अक्टूबर को सुबह 07:29 बजे।

राहुकाल: दोपहर 01:32 बजे से 02:58 बजे तक।

चंद्र दर्शन का समय: शाम को 08:16 बजे।


संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

1. चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि करें।
2. इसके बाद दिन भर व्रत का संकल्प लें।
3. पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुख करके गणेश जी की पूजा करें।
4. भगवान गणेश को पुष्प, रोली, जल, अक्षत, फल, मोदक, दुर्वा और पंचामृत चढ़ाएं।
5. गणपति को तिल का लड्डू चढ़ाएं।
6. इसके बाद संकष्टी चतुर्थी की कथा सुनें।
7. अंत में गणेश आरती गाएं और चढ़ाए हुए प्रसाद को सभी में बांटें।

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