Ramnavmi: अयोध्या में रामलला का कैसे होगा सूर्य तिलक, जानिए क्या है इसमें विज्ञान की भूमिका
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 17, 2024 08:33 AM2024-04-17T08:33:19+5:302024-04-17T08:42:30+5:30
रामलला के नवनिर्मित मंदिर में पहली बार राम नवमी मनायी जा रही है। इस खास मौके पर सूर्य अभिषेक होगा यानी सूर्य भगवान रामलला की मूर्ति का तिलक करेंगे।
अयोध्या: रामलला के नवनिर्मित मंदिर में पहली बार राम नवमी मनायी जा रही है। इस खास मौके पर सूर्य अभिषेक होगा यानी सूर्य भगवान रामलला की मूर्ति का तिलक करेंगे।
इस पावन अनुष्ठान के दौरान सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर तिलक के रूप में केंद्रित होंगी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भगवान राम इश्वाकु वंश से हैं, जिन्हें सूर्य का वंशज या सूर्यवंशी माना जाता है।
मंदिर निरमाण के समय सूर्य तिलक की अवधारण को पूर्ण करने के लिए उसके डिजाइन को बनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की (आईआईटी) के वैज्ञानिकों को शामिल किया गया था। सूर्य अभिषेक वास्तव में प्रकाशिकी और यांत्रिकी का मेल है, जहां श्रद्धा के प्रतीक के रूप में सूर्य की किरणों को देवता के माथे पर डाला जाता है।
हालांकि, इस यांत्रिकी का उपयोग करके सूर्य अभिषेक की प्रथा नई नहीं है और भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन मंदिरों में यह पहले से आपनायी जाती रही है। राम मंदिर में भी यही मैकेनिज्म इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इसकी इंजीनियरिंग थोड़ी अलग है।
17 अप्रैल को दोपहर ठीक 12 बजे करीब दो से ढाई मिनट के लिए सूर्य की किरणें राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला के माथे को रोशन करेंगी। रामलला के माथे को रोशन करने वाली सूरज की रोशनी 'सूर्य तिलक' बनाएगी।
राम मंदिर के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार श्री राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र ट्रस्ट इस सूर्य तिलक को सफल बनाने की दिशा में काम कर रहा है। सूर्य तिलक की तैयारी बहुत पहले ही शुरू हो गई थी, जब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की (आईआईटी-आर) के वैज्ञानिकों को सूर्य तिलक तंत्र को डिजाइन करने के लिए शामिल किया गया था।
सूर्य तिलक उपकरण' का मॉडल
इस वर्ष राम नवमी पर होने वाले सूर्य तिलक के लिए रामलला मंदिर में दो परीक्षण पहले ही हो चुके हैं, जिसमें आईआईटी टीम ने उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण और लेंस वाले एक उपकरण का उपयोग किया गया है, जो एक विशिष्ट स्थान पर रामलला के माथे पर सूर्य की किरणों को सटीक समय पर डालेंगे।
रिपोर्टों के अनुसार यह उपकरण परावर्तक दर्पणों और लेंसों से सुसज्जित एक गियरबॉक्स है। यह शिकारे के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को एक विशिष्ट समय पर गर्भगृह (गर्भगृह) में प्रतिबिंबित करने में मदद करेगा।
तिलक उपकरण में स्थायित्व और संक्षारण प्रतिरोध के लिए पीतल और कांस्य सामग्री से बने घटकों का उपयोग किया जाता है। चंद्र कैलेंडर के आधार पर गियरबॉक्स को प्रत्येक वर्ष राम नवमी के दिन सूर्य की सटीक स्थिति के लिए बनाया गया है। ऑप्टिकल पथ, पाइपिंग और टिप-टिल्ट को लंबे समय तक चलने और कम रखरखाव के लिए इसे स्प्रिंग्स के बिना डिज़ाइन किया गया है।