Ram Navami 2021: आज है राम नवमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 21, 2021 08:58 AM2021-04-21T08:58:40+5:302021-04-21T10:47:03+5:30
रामनवमी का त्योहार पूरे पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है। भगवान राम के भक्त रामायण का पाठ करते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है, घर में भजन कीर्तन किया जाता है और रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
राम नवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है. हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। हिन्दू मतानुसार इसी दिन भगवान विष्णु के 7वें मानवरूपी अवतार श्रीराम का जन्म हुआ था। यह त्योहार हिंदूओं बेहद ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है।
इस त्योहार को देशभर में अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इस दिन भगवान राम के जन्म की खुशी में जगह-जगह महोत्सवों का आयोजन किया जाता है और भगवान राम की चौकियां और रथयात्रा निकाली जाती है। इस दिन भगवान राम के मंदिरों में सुबह से लेकर शाम तक भगवान राम के जयकारों की गूंज सुनाई पड़ती है। इन दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं।
राम नवमी शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 21, 2021 को 12:43 ए एम बजे
नवमी तिथि समाप्त – अप्रैल 22, 2021 को 12:35 ए एम बजे
रामनवमी का महत्व
रामनवमी का त्योहार पूरे पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है। भगवान राम के भक्त रामायण का पाठ करते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है, घर में भजन कीर्तन किया जाता है और रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं। भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं। भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्त प्रसाद में पंचामृत, श्री खंड, खीर या हलवा के भोग के बाद लोगों में वितरित करते हैं। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है.
राम नवमी पूजा विधि
1. इस दिन प्रात:काल में स्नान करके पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
2. पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
3. उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
4. खीर और फल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
5. पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।
जुड़ी है पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीराम अयोध्या के नरेश दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। रामनवमी की कहानी लंकापति रावण से शुरू होती है। त्रेता युग में रावण का प्रकोप पूरे धरती पर था। उसके अत्याचारों से चारों ओर त्राहि-त्राहि मचा था। रावण इतना अत्याचार इसलिए बना था कि उसे अमरत्व का वरदान था। यानी उसे कोई मार नहीं सकता था।
उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।