पौष पुत्रदा एकादशी 2019: आज खुला है बैकुंठ का द्वार, मोक्ष और संतान प्राप्ति के लिए कर लें ये काम

By मेघना वर्मा | Published: January 17, 2019 09:05 AM2019-01-17T09:05:04+5:302019-01-17T09:05:04+5:30

दशमी को शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन त्याग देना चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्रों, उनके ध्यान में मन लगाना चाहिए। 

putrada ekadashi2019 paushputrada ekadashi on 17 january 2019 significance vrat katha puja vidhi | पौष पुत्रदा एकादशी 2019: आज खुला है बैकुंठ का द्वार, मोक्ष और संतान प्राप्ति के लिए कर लें ये काम

पौष पुत्रदा एकादशी 2019: आज खुला है बैकुंठ का द्वार, मोक्ष और संतान प्राप्ति के लिए कर लें ये काम

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह दो एकादशी होती है मगर पौष मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत अपने आप में बेहद खास होता है। हिन्दू धर्म के लोग वैसे तो हर एकादशी पर उपवास रखकर पूजा-अर्चन करते हैं मगर पुत्रदा एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से इंसान को संतान प्राप्ति होती है। साथ ही संतान का कल्याण भी होता है। इसीलिए इस एकादशी को सबसे जरूरी बताया जाता है। इस साल पुत्रदा एकादशी 17 जनवरी को पड़ रही है। आइए आपको बताते हैं पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा और पूजन विधी।

भगवान विष्णु की करते हैं पूजा

जिन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति में बधाएं आ रही हैं या जिनकी संतानों को सफलता नहीं मिल रही वो इस पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर करें। इस व्रत में भगवान विष्णु की उपासना बेहद फलदायी मानी जाती है। पीले फूल, पीले चंदन, पीले भोग की वस्तुएं और पीले कपड़े से भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन आपको शुभ फल देगा। विष्णु पूजन के लिए तुलसी का भी बेहद महत्व है। आप विष्णु को तुलसी माला भी अर्पित कर सकते हैं। 

खुलता है बैकुंठ का दरवाजा

इस दिन की मान्यता है कि आज ही के दिन बैकुंठ का दरवाजा खुलता है। ये तिथी पापों को हरने के लिए उत्तम तिथी होती है। इस दिन व्रत करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना तो ये भी जाता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन जिसने मन से भगवान विष्णु की उपासना कर ली उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। दशमी को शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन त्याग देना चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्रों, उनके ध्यान में मन लगाना चाहिए। 

ये है व्रत कथा

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा, "एक नगर में महिजीत राजा राज किया करते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण राजा काफी दुखी भी रहते थे। राजा के मंत्रियों से राजा का दुख देखा नहीं गया तो वे लोमश ऋषि से राजा के निसंतान होने की वजह पूछने चले गए। ऋषि ने बताया की पूर्व जन्म में राजा को एकादशी के दिन भूखा रहना पड़ा था। जब वह एक तालाब के पास पहुंचे तो वहां पहले से एक ब्याही गाय पानी पीने के लिए आई थी मगर राजा ने उसे भगा दिया और खुद की प्यास बुझाई।

गाय के भगाने के कारण राजा को निसंतान रहना पड़। उन्होंने राजा को संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत करने को कहा तथा इसी दिन दान करने का कहा। राजा ने ऋषि के कहने पर यह व्रत किया और उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। 

पुत्रदा एकादशी की पूजा विधी

1. पौष पुत्रदा एकादशी के एक दिन पहले दशमी को सात्विक भोजन करें। 
2. एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि करके भगवान का ध्यान करें। 
3. गंगा जल, तुलसी, चने दाल, गुड़, तिल, फूल भगवान नारायण को अर्पित करें। 
4. आप चाहें तो पूरा दिन निराजल व्रत भी रख सकते हैं। 
5. संध्या काल में दीपदान करें। 
6. व्रत के अगले दिन दान-दक्षिणा करके व्रत का पारण करें। 

English summary :
Pausha Putrada Ekadashi 2019: According to the Hindu calendar, there are two Ekadashi every month, Pausha Mass Ekadashi which is also known as Pausha Putrada in Shukla Paksha, which is very special in itself.


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