Puri Rath Yatra: भगवान बलभद्र के रथ 'तालध्वज', भगवान जगन्नाथ के 'नंदीघोष' और देवी सुभद्रा के रथ 'दर्पदलन' की पूजा, सुनहरे हत्थे वाली झाड़ू से फर्श को साफ किया, जानें और खासियत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 21, 2023 02:13 PM2023-06-21T14:13:47+5:302023-06-21T14:14:32+5:30

Puri Rath Yatra: पुरी राजघराने के दिव्यसिंह देव बारी-बारी से रथों पर चढ़े और एक सुनहरे हत्थे वाली झाड़ू का उपयोग करके रथों के फर्श को साफ किया।

Puri Rath Yatra 2023 Worship Lord Balabhadra's chariot 'Taladhwaj', Lord Jagannath's 'Nandighosh' Goddess Subhadra's chariot 'Darpadalan' sweeps floor golden-handled broom | Puri Rath Yatra: भगवान बलभद्र के रथ 'तालध्वज', भगवान जगन्नाथ के 'नंदीघोष' और देवी सुभद्रा के रथ 'दर्पदलन' की पूजा, सुनहरे हत्थे वाली झाड़ू से फर्श को साफ किया, जानें और खासियत

देवताओं ने रथों पर स्थान ग्रहण कर लिया है।

Highlightsपुजारियों ने फूल और सुगंधित जल का छिड़काव किया। भगवान बलभद्र के रथ 'तालध्वज', फिर भगवान जगन्नाथ के 'नंदीघोष' और अंत में देवी सुभद्रा के रथ 'दर्पदलन' की पूजा की। देवताओं ने रथों पर स्थान ग्रहण कर लिया है।

Puri Rath Yatra: पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने भगवान जगन्नाथ और उनके दो भाई-बहनों के रथों को भक्तों द्वारा खींचे जाने से पहले उस पर झाड़ू लगायी। सफेद पोशाक पहने और एक चांदी की पालकी में ले आये गए पुरी राजघराने के दिव्यसिंह देव बारी-बारी से रथों पर चढ़े और एक सुनहरे हत्थे वाली झाड़ू का उपयोग करके रथों के फर्श को साफ किया।

इस दौरान पुजारियों ने फूल और सुगंधित जल का छिड़काव किया। देव ने सबसे पहले भगवान बलभद्र के रथ 'तालध्वज', फिर भगवान जगन्नाथ के 'नंदीघोष' और अंत में देवी सुभद्रा के रथ 'दर्पदलन' की पूजा की। नियमों के अनुसार, पुरी के राजा को मंदिर के अधिकारियों द्वारा विशेष रूप से प्रतिनियुक्त एक दूत के माध्यम से सूचित किया जाता है कि देवताओं ने रथों पर स्थान ग्रहण कर लिया है।

मंदिर के रिकॉर्ड में कहा गया है, ‘‘बारहवीं शताब्दी में अनंतवर्मन चोडगंगदेव से लेकर ओडिशा के राजाओं ने स्वयं को भगवान जगन्नाथ का ‘‘रौता’’ (सेवक) घोषित किया और उनके प्रतिनिधि के तौर पर भूमि पर शासन किया।’’ राजा द्वारा रथों की सफाई किये जाने के बाद और महल में जाने के बाद, भूरे, काले और सफेद रंग के लकड़ी के घोड़ों को तीन रथों में लगाया जाता है।

जिन्हें श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाता है। इस अनुष्ठान से पहले, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती अपने चुनिंदा शिष्यों के साथ आये और रथों की पूजा की। जगन्नाथ पंथ के एक शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा कि महाराजा द्वारा रथों की सफाई करने की रस्म यह संदेश देती है कि भगवान के सामने सभी समान हैं। 

Web Title: Puri Rath Yatra 2023 Worship Lord Balabhadra's chariot 'Taladhwaj', Lord Jagannath's 'Nandighosh' Goddess Subhadra's chariot 'Darpadalan' sweeps floor golden-handled broom

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