Pradosh Vrat: माघ माह के आखिर प्रदोष व्रत पर आज क्या है भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 6, 2020 09:33 AM2020-02-06T09:33:42+5:302020-02-06T09:33:42+5:30

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत की विशेष पूजा शाम में होती है। माघ मास का ये आखिरी प्रदोष व्रत है। आज गुरुवार का दिन है इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जा रहा है।

Pradosh Vrat Magh shukla paksha vrat date, puja subh muhurat and puja vidhi | Pradosh Vrat: माघ माह के आखिर प्रदोष व्रत पर आज क्या है भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व, जानिए

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

HighlightsPradosh Vrat: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा की है परंपरामाघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वाद्श तिथि रात 8.23 बजे खत्म होगी, इसके बाद त्रयोदशी की शुरुआत

Pradosh Vrat:भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत आज (6 फरवरी) है। प्रदोष व्रत हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार ये गुरुवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। दरअसल, माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वाद्श तिथि रात 8.23 बजे खत्म हो रही है। 

इसके बाद त्रयोदशी की शुरुआत होगी। प्रदोष व्रत की पूजा शाम में होती है। इसलिए आज शाम भगवान की पूजा का महत्व विशेष है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के लिए समर्पित इस व्रत को करने से मानव जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर आने वाला संकट भी टल जाता है।

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त

माघ मास का ये आखिरी प्रदोष व्रत है। माघ के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत रात 8.23 बजे से हो रही है। इस लिहाज से पूजा का मुहूर्त रात 8.23 बजे से 9.05 बजे तक का होगा।

भगवान की पूजा हालांकि सूर्यास्त से पहले ही शुरू करें। बता दें कि त्रयोदशी तिथि का समापन 7 फरवरी को शाम 6.31 बजे हो रहा है। इसके बाद चतुर्दशी की शुरुआत हो जाएगी।  

Pradosh Vrat: दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व

मान्यताओं के अनुसार हर मास के पक्षों में जिस दिन भी प्रदोष व्रत पड़ता है, उसकी महिमा दिन के हिसाब से अलग-अलग होती है। सभी का महत्व और लाभ भी अलग-अलग होता है। वैसे तो हर दिन का प्रदोष शुभ है लेकिन कुछ विशेष दिन बेहद शुभ और लाभदायी माने जाते हैं। 

इसमें सोमवार को आने वाले प्रदोष, मंगलवार को आने वाले भौम प्रदोष और शनिवार को पड़ने वाले शनि प्रदोष का महत्व अधिक है। ऐसे ही रविवार के प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष और बुधवार के प्रदोष व्रत को सौम्यवारा प्रदोष कहते हैं। गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहा जाता है। शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष को भ्रुगुवारा प्रदोष कहते हैं।

Pradosh Vrat: गुरु प्रदोष का महत्व, उत्तम संतान का मिलता है वरदान

गुरु प्रदोष करने से साधक को संतान उत्तम संतान का वरदान मिलता है। इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई सहित स्नान आदि कर भगवान शिव की पूजा की तैयारी शुरू करें। पूजा के लिए भगवान शिव के मंदिर जाएं या फिर घर पर ही पूजा करें और दिन भर उपवास रखें। 

चूकी प्रदोष की विशेष पूजा शाम को की जाती है। इसलिए शाम को सूर्य अस्त होने से पहले एक बार फिर स्नान आदि करें। इसके बाद संभव हो तो सफेद रंग के कपड़े ही पहने। इसके बाद एक थाल में मिट्टी से शिवलिंग बनाये और विधिवत पूजा करने के बाद उनका विसर्जन करें। पूजा के दौरान भगवान का पंचामृत से जरूर अभिषेक करें। भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र, धतुरा, फूल, मिठाई, फल आदि का उपयोग जरूर करना चाहिए। 

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