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Pitru Paksha 2021: किस तिथि पर किनका करना चाहिए श्राद्ध, देखें पितृपक्ष की तिथियों की पूरी लिस्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 16, 2021 16:39 IST

Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। जिस व्यक्ति की जिस तिथि पर मृत्यु हुई, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध किया जाना चाहिए।

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ठळक मुद्देइस साल 20 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच श्राद्ध के दिन, 26 सितंबर को श्राद्ध की कोई तिथि नहींमान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए।अगर मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी है तो फिर उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है।

पितृपक्ष की शुरुआत इस साल 20 सितंबर (सोमवार) से हो रही है। ये भद्रपद की शु्क्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि होगी और हर साल इसी तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। वहीं, आश्विन महीने की अमावस्या यानी 6 अक्टूबर को पितृपक्ष समा्त हो जाएगा। 

पितृपक्ष का पहला और आखिरी दिन महत्वपर्ण

पितृपक्ष 16 दिनों तक चलता है और इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने की परंपरा है। इसमें हर दिन का महत्व है। हालांकि पहले और आखिरी दिन का महत्व विशेष है। इस बार की बात करें तो 20 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच श्राद्ध के दिन है। हालांकि 26 सितंबर को श्राद्ध की कोई तिथि नहीं है।

पितृपक्ष-2021 की तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबरप्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबरद्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबरतृतीया श्राद्ध – 23 सितंबरचतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबरपंचमी श्राद्ध – 25 सितंबरषष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबरसप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबरअष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबरनवमी श्राद्ध – 30 सितंबरदशमी श्राद्ध – 01 अक्टूबरएकादशी श्राद्ध 02 अक्टूबरद्वादशी श्राद्ध- 03 अक्टूबरत्रयोदशी श्राद्ध – 04 अक्टूबरचतुर्दशी श्राद्ध- 05 अक्टूबर

पितृपक्ष 2021: कब किनका करें श्राद्ध

मान्यता है कि पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। इसका मतलब ये हुआ कि जिस व्यक्ति की जिस तिथि पर मृत्यु हुई, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध किया जाना चाहिए। 

वहीं, अगर किसी मृत व्यक्ति के मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी है तो फिर उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

ऐसे ही अगर तिथि का ज्ञान नहीं हो तो त्रयोदशी के दिन ही पूर्ण विधान से मृत बच्चों का श्राद्ध करना चाहिए। जिन बच्चों की मृत्यु दो वर्ष या उससे कम में होती है, उसका श्राद्ध नहीं किया जाता है। वहीं, जिन बच्चों की उम्र 2 से 6 साल के बीच रही हो उनका श्राद्ध नहीं बल्कि मलिन षोडशी प्रक्रिया की जाती है। वहीं, 6 साल से ज्यादा की उम्र के मृत बच्चों के लिए श्राद्ध किया जाता है।

पितृपक्ष समाप्त होने से पहले अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध करने की परंपरा है। अगर मृत्यु की तिथि में आप इनका श्राद्ध नहीं कर सके तो चतुर्दशी पर ये किया जा सकता है।

अगर किसी की मृत्यु दुर्घटना, हत्या, किसी जानवर या सांप आदि के काटने से हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए। आत्महत्या करने वालों का भी श्राद्ध इस दिन करना चाहिए।

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