लाइव न्यूज़ :

Pitru Paksha 2021: श्राद्ध क्यों करना चाहिए, जानें सनातन धर्म में क्या है इस कर्मकांड का महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 25, 2021 14:09 IST

इस साल 20 सितंबर से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हुआ था, जो 06 अक्टूबर 2021 तक चलेंगे। आइए जानते हैं हिन्दू धर्म में श्राद्ध का महत्व क्या है और इस कर्मकांड को क्यों किया जाता है।

Open in App
ठळक मुद्देश्राद्ध एक महत्वपूर्ण कर्मकांड है, जो पितरों के तर्पण और उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जाता है।श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता है और मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है।

सनातन धर्म में हर एक कर्मकांड का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध भी एक महत्वपूर्ण कर्मकांड है, जो पितरों के तर्पण और उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, समर्पण और कृतज्ञता के इसी भाव को श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध को पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या) तक चलते हैं। इस साल 20 सितंबर से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हुआ था, जो 06 अक्टूबर 2021 तक चलेंगे।

श्राद्ध क्यों करना चाहिए?

सनातन परंपरा में पितरों को देवतुल्य माना गया है और हम उन्हीं की संतति हैं। उन्हीं के कारण हमारा अस्तित्व है। उन्होंने हमारा लालन पालन-कर हमें कृतार्थ किया है। हम उनके सदैव ऋणी हैं और इसी पितृ ऋण की मुक्ति के लिए ही श्राद्ध किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता है। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है।

तर्पण की विधि

सबसे पहले पितरों का तर्पण करने हेतु उन्हें जल दें। समस्त तर्पण सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुख करके बैठें। हाथ में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान कर उन्हें आमंत्रित करें। इस दौरान अपने पितरों से आग्रह करें कि मेरे दिए जल और भोजन को ग्रहण करें। अंत में जल पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं।

इन बातों का रखें ध्यान

ब्राह्मणों को भोजन कराने से पूर्व गाय, कुत्ते और चींटी के लिए भोजन निकाल लें। कौवा को पितर के रूप में माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कौवा पक्षी राहु-केतु का प्रतीक माना जाता है और राहु-केतु के कारण ही पितृ दोष लगता है। अत: पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

टॅग्स :पितृपक्ष
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठमहालया अमावस्या 2025: पितृपक्ष का अंतिम दिन, पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान का विशेष महत्व

कारोबारGST New Rate: रहिए तैयार, केवल 15 दिन में घटेगा दाम?, हर घर की जरूरत, दिनचर्चा में प्रयोग, त्योहार से पहले मीडिल क्लास की जेब...

पूजा पाठPitru Paksha 2025: आज से शुरु हो रहा पितृ पक्ष, जानें पितरों के श्राद्ध का सही नियम और सबकुछ

भारतRohtas Road Accident: राजस्थान से गया जा रही बस की ट्रक से भीषण टक्कर, तीन की मौत; 15 घायल

पूजा पाठSarva Pitru Amavasya 2024 Date: कब है सर्व पितृ अमावस्या? कैसे करें पितृ विसर्जन, जानें विधि और महत्व

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय