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Pitru Paksha 2019, Places: पितृपक्ष पर पितरों के श्राद्ध और पिंडदान के लिए भारत के 7 बड़े स्थान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 13, 2019 11:06 IST

Pitru Paksha 2019: हिंदू धर्म में पितृपक्ष की बहुत मान्यता है। मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। ऐसे में उनके नाम से दान आदि करना चाहिए। साथ ही पिंडदान और श्राद्ध की भी काफी मान्यता है।

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ठळक मुद्देPitru Paksha 2019: पितृपक्ष काल में है श्राद्ध और पिंडदान का बहुत महत्वभारत में कई ऐसी जगह हैं, जहां पिंडदान करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं

Pitru Paksha 2019: भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि इस अवधि में पूर्वज धरती पर आते हैं। पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि इस दौरान श्राद्ध करने से अतृप्त आत्माओं को शांति मिलती है। कहते हैं जो लोग इन दिनों अपने पूर्वजों के नाम पर दान आदि नहीं करते, उनके पितर भूखे-प्यासे ही धरती से लौट जाते हैं। इससे परिवार को पितृ दोष लगता है। भारत में पिंडदान और श्राद्ध के लिए कई ऐसी जगहें हैं जहां श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। जानें, इससे जुड़े 7 बड़े स्थानों के बारे में...

1. गया: बिहार में स्थित गया को मोक्ष की धरती कहा गया है। मान्‍यताओं के अनुसार भगवान विष्णु पितृ देवता के रूप में यहां मौजूद हैं। विष्णु पुराण के अनुसार, इस मोक्ष की धरती पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। यहां आने वाले लोग पिंडदान करने से पहले लोग फल्गु नदी में स्नान करते हैं और फिर विष्णु के दर्शन कर पिंडदान करते हैं।

2. मथुरा: उत्तर प्रदेश में स्थि मथुरा भी पिंडदान और श्राद्ध के लिए लोकप्रिय है। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली होने के कारण इस जगह का महत्व और बढ़ जाता है। यहां पर वायुतीर्थ में पिंडदान किया जाता है।

3. वाराणसी: इस जगह को शिव की नगरी भी कहा गया है। यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। पिंडदान और श्राद्ध के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। वाराणसी के बारे में तो यह भी मान्यता है कि यहां मृत्यु होने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

4. बदरीनाथ: श्राद्ध और पिंडदान के लिए उत्तराखंड में स्थित ब्रह्मकपाल घाट का बहुत महत्व है। कहते हैं कि यही वह स्थान भी है जहां शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। यह जगह बदरीनाथ से कुछ ही दूर अलकनंदा नदी के तट पर है। मान्यता है कि पांडवों ने भी महाभारत के युद्ध में मारे गये परिजनों की मुक्ति के लिए यहां पिंडदान किया था।

5. मेघंकर तीर्थ: महाराष्ट्र में स्थित मेहकर शहर को ही प्राचीन काल में मेघंकर कहा गया है। ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण जैसे ग्रंथों में श्राद्ध के लिए इस जगह का जिक्र है। मान्यता है कि यहां श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से बड़े से बड़े पाप भी कट जाते हैं और व्यक्ति को मुक्ति का मार्ग मिलता है।

6. प्रयागराज: हाल में इस जगह का नाम बदलकर इलाहाबाद से प्रयागराज कर दिया गया। प्रयागराज में पितृपक्ष के मौके पर बहुत बड़ा मेला लगता है। संगम की नगरी के तौर पर प्रसिद्ध प्रयागराज में दूर-दूर से लोग पिंडदान के लिए आते हैं।

7. उज्जैन: हिंदू धर्म में उज्जैन नगरी की बहुत मान्यता है। यहां मौजूद महाकाल के मंदिर का दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां बहने वाली शिप्रा नदी के बारे में कहा गया है कि यह भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई हैं। इस नदी के तट पर लोग श्राद्ध और पिंडदान करते हैं।

टॅग्स :पितृपक्ष
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