Paush Amavasya 2022 Date: कब है पौष अमावस्या, जानें तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Published: December 31, 2021 10:24 PM2021-12-31T22:24:39+5:302021-12-31T22:24:39+5:30

पौष अमावस्या 2 जनवरी, रविवार को है। यह नए साल की पहली अमावस्या होगी। पौष अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं।

Paush Amavasya 2022 date muhurat puja vidhi significance | Paush Amavasya 2022 Date: कब है पौष अमावस्या, जानें तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

पौष अमावस्या 2022

Paush Amavasya 2022: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है। इस दिन  स्नान, दान, पितरों का तर्पण, पिंडदान श्राद्ध कर्म आदि किया जाता है। हर माह अमावस्या तिथि आती है और यह पौष मास चल रहा है। पौष अमावस्या 2 जनवरी, रविवार को है। यह नए साल की पहली अमावस्या होगी। पौष अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति के लिए पौष अमावस्या तिथि बहुत ही उत्तम मानी जाती है। इस बार तो पौष अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।

पौष अमावस्या का मुहूर्त

पौष अमावस्या तिथि का प्रारंभ 02 जनवरी दिन रविवार को तड़के 03:41 बजे होगा और इसका समापन भी इसी दिन आधी रात 12:02 बजे होगा। ऐसे में आपको अमावस्या का स्नान और दान 02 जनवरी को करना चाहिए। अमावस्या को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 07:14 बजे मिनट से लेकर शाम 04:23 बजे तक है।

पौष अमावस्या पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या फिर स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए। 
भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें । 
अगर आप दूध-चावल की खीर नहीं बना सकते तो इस दिन घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना है और उससे ही पितरों को भोग लगा दें ।
एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए। 

पौष अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ है। इस दिन पितरों के लिए पिंडदान करने से पितर संतुष्ट होते हैं और उन्हें तमाम यातनाओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितर प्रसन्न होते हैं। जिससे पितृदोष के कारण भाग्योदय में आई रूकावट दूर होती है। इस अमावस्या पर पितृदोष की शांति करें, जिससे शीघ्र भाग्योदय होगा। पितृदोष दूर होने पर संतान जन्म में होने वाली बाधा दूर होती है।

Web Title: Paush Amavasya 2022 date muhurat puja vidhi significance

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