लाइव न्यूज़ :

Navratri: रामनवमी के दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, होगी सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 17, 2024 06:44 IST

चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन मां अंबे के नौवें स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही ये सिद्धियां प्राप्त की थीं।

Open in App
ठळक मुद्देचैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन मां अंबे के नौवें स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैदेवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही ये सिद्धियां प्राप्त की थींमां की दयालुता के कारण भगवान शिव का आधा शरीर देवी के रूप में परिवर्तित हुआ था

Navratri: चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन मां अंबे के नौवें स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही ये सिद्धियां प्राप्त की थीं। यह उनकी दयालुता ही थी कि भगवान शिव का आधा शरीर देवी के रूप में परिवर्तित हो गया था। इस कारण वे लोगों के बीच 'अर्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

वहीं मार्कण्डेयपुराण में बताया गया है कि मां की पूजा से अणिमा, महिमा, गरिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराणके श्रीकृष्णजन्मखण्ड में इन सिद्धियों की संख्या अठारह बताई गई है।

माता सिद्धिदात्री, मां दुर्गा की नौवीं शक्ति हैं। देवी सिद्धिदात्री के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर विराजमान होती हैं।

मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का स्वरूप माना जाता है। सभी प्रकार की सिद्धियां उसके अधीन हैं। सिद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी दुर्गा की मूर्ति को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर देवी सिद्धिदात्री की पूजा भक्ति और मनोयोग के साथ की जाए तो मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

माता अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न होती है और अपने भक्तों को संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराती है। नवरात्री के नवें दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए। यह चक्र हमारे कपाल के मध्य में स्थित होता है। ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाती है।

मां सिद्धिदात्री मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

माता सिद्धिदात्री की पावन कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब ब्रह्मांड पूरी तरह से अंधेरे से भरा हुआ एक विशाल शून्य था। दुनिया में कहीं भी किसी प्रकार का कोई संकेत नहीं था तब उस अंधकार से भरे हुए ब्रह्मांड मे ऊर्जा का एक छोटा सा पुंज प्रकट हुआ। देखते ही देखते उस पुंज का प्रकाश चारों ओर फैलने लगा, फिर उस प्रकाश के पुंज ने आकार लेना शुरू किया और अंत मे वह एक दिव्य नारी के आकार मे विस्तृत होकर रुक गया। वह प्रकाश पुंज देवी महाशक्ति के आलवा कोई और नहीं था।

सर्वोच्च शक्ति ने प्रकट होकर त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी) को अपने तेज़ से उत्तपन्न किया और तीनों देवों को इस सृष्टि को सुचारु रूप से चलाने के लिए अपने-अपने कर्तव्यों के निर्वाहन के लिए आत्मचिंतन करने को कहा।

देवी के कथनानुसार तीनों देव आत्मचिंतन करते हुए जगतजननी से मार्गदर्शन हेतु कई युगों तक तपस्या मे लीन रहें। अंतत: उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महाशक्ति ‘मां सिद्धिदात्री’ के रूप मे प्रकट हुईं। देवी ‘मां सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सरस्वती जी, विष्णुजी को लक्ष्मी जी और शिवजी को आदिशक्ति प्रदान किया।

‘मां सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना का भर सौंपा, विष्णु जी को सृष्टि के पालन का कार्य दिया और महादेव को समय आने पर सृष्टि के संहार का भार सौंपा। ‘मां सिद्धिदात्री’ ने तीनों देवों को बताया की उनकी शक्तियां उनकी पत्नियों मे हैं जो उनके कार्यनिर्वाहन मे उनकी सहायता करेंगी।

उन्होने त्रिदेवों को दिव्य-चमत्कारी शक्तियाँ भी प्रदान की जिससे वो अपने कर्तव्यों को पूरा करने मे सक्षम हो सकें। देवी ने उन्हें आठ अलौकिक शक्तियाँ प्रदान की। इस तरह दो भागों नर एवं नारी, देव-दानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा दुनिया की कई और प्रजातियों का जन्म हुआ। आकाश असंख्य तारों, आकाशगंगाओं और नक्षत्रों से जगमगा उठा। पृथ्वी पर महासागरों, नदियों, पर्वतों, वनस्पतियों और जीवों की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार ‘माँ सिद्धिदात्री’ की कृपा से सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य संचालित हुआ।

एक अन्य कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर दानव महिषासुर का उत्पात बहुत बढ़ गया था तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण मे जाते हैं, तत्पश्चात सभी देवों के तेज़ से माता सिद्धिदात्री प्रकट होती हैं और ‘दुर्गा’ रूप मे महिषासुर का वध करके समस्त सृष्टि की रक्षा करती हैं।

मां सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।

शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।

प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥

मा सिद्धिदात्री स्तोत्रम

कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।

स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

नलिस्थिताम् नलनार्थी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा ।

परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी ।

भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं ।

मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते।।

मां सिद्धिदात्री कवच

ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।

हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।

कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो।।

टॅग्स :मां दुर्गानवरात्रिहिंदू त्योहारहिन्दू धर्मधार्मिक खबरेंधर्मअध्यात्म
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

भारतअसमः एक से ज्यादा शादी किया तो जुर्म?, मुख्यमंत्री हिमंत ने कहा- धर्म से परे और इस्लाम के खिलाफ नहीं?, जानें क्या है कानून

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय