Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Published: November 2, 2021 01:02 PM2021-11-02T13:02:47+5:302021-11-02T13:17:49+5:30

नरक चतुर्दशी 3 नवंबर को है। इसे काली चौदस, रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता ये है कि आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर उसके चंगुल से 16 हजार कन्याओं को मुक्त उन्हें सम्मान प्रदान किया था।

Narak Chaturdashi 2021 muhurat puja vidhi and significance | Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

नरक चतुर्दशी 2021

दिवाली पांच दिनों का त्योहार माना जाता है। इसमें सबसे पहला त्योहार धनतेरस होता है, दूसरा नरक चतुर्दशी, तीसरा दिवाली, चौथा गोवर्धन पूजा और पांचवां भाईदूज होता है। नरक चतुर्दशी 3 नवंबर को है। इसे काली चौदस, रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता ये है कि आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर उसके चंगुल से 16 हजार कन्याओं को मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इसी अवसर पर आज के दिन दीयों की बारात सजाई जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उबटन एवं स्नान करने से समस्त प्रकार के पाप मिट जाते हैं और जातकों को पुण्य प्राप्त होता है। 

नरक चतुर्दशी शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि - 3 नवंबर 2021 दिन बुधवार को सुबह 9:02 मिनट तक त्रयोदशी 
अभ्यंग मुहूर्त : सुबह 06:06 से 06:34 बजे तक

इन देवताओं की होती है पूजा

नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा, काली पूजा, श्रीकृष्ण पूजा, शिव पूजा, हनुमान पूजा और वामन पूजा का विधान है। 

अभ्यंग स्नान का है महत्व

माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं। रूप चतुर्दशी के दिन सुबह सूरज उगने से पहले उठकर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उस पानी से नहाना चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलता है। मान्यता ये है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करना उत्तम होता है। 

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक प्रतापी राजा थे। जिनका नाम रन्ति देव था। उन्होंने कभी किसी तरह का पाप नहीं किया था। उनकी आत्मा और उनका दिल एक दम साफ और शुद्ध था। जब उनकी मौत का समय आया तो उन्हें पता चला कि उन्हें नरक में जगह दी गई है। राजा ने जब इसका कारण पूछा तो यम ने कहा कि आपके द्वारा एक बार एक ब्राह्मण भूखा सो गया था। इस पर राजा ने यम से कुछ समय मांगा। यम ने राजा को थोड़ा समय दिया और अपने गुरू से राय लेकर राजा ने हजार ब्राह्मणों को खाना खिलाया। इस प्रक्रिया से सभी ब्राह्मण खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी के प्रकोप से राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई। बताया जाता है कि भोजन कराने का ये दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस का दिन था। तभी से आज तक नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। 

Web Title: Narak Chaturdashi 2021 muhurat puja vidhi and significance

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