भगवान विष्णु को जग का पालनहार कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा एकादशी वाले दिन की जाए तो वो और प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी रखा जाता है। जिसमें भी भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है।
इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 3 मई को पड़ रहा है। जिसमें लोग भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार तब लिया था जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला था। इसके अलावा भी भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। आइए बताते हैं भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की कहानी।
जब देवताओं को कराया था अमृत का पान
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवराज इंद्र दुर्वाशा ऋषि द्वारा दिए गए श्राप के कारण अपनी सारी शक्तियां खो चुके थे तब असुर बलवान हो गए। समुद्र मंथन के अलावा कोई रास्ता ना बचा। जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अमृत निकला। असुर चाहते थे कि वो पहले उसे पीएं एगर ऐसा होता तो असुर अमर हो जाते।
तभी भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया और प्रकट हुए। मोहिनी का रूप देखकर सभी असुर ने प्रस्ताव रखा कि अमृत का पान मोहिनी के हाथों ही करें। तब भगवान विष्णु ने छल से असुरों को जल का पान और देवताओं को अमृत का पान करवाया। जिसके बाद सभी देव अमर हो गए।
जब महादेव की पत्नी को अपना बना लेना चाहता था भस्मासुर
पौराणिक कथा के अनुसार राक्षस भस्मासुर को वरदान था कि वो किसी के भी सिर पर हाथ रखेगा तो वो भस्म हो जाएगा। जब उसे ये वरदान मिला तो वो खुद को सबसे शक्तिशाली समझने लगा। भस्मासुर की इच्छा हुई कि वो महादेव की पत्नी को अपना ले। भस्मासुर महादेव के सिर पर हाथ रखने की कोशिश करने लगा।
उसी क्षण भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। उनका रूप देखकर राक्षस भस्मासुर मोहित हो गया। मोहिनी ने भस्मासुर के सामने नृत्य करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रकार नृत्य करते-करते भस्मासुर का खुद का हाथ उसके सिर पर रखवा दिया। जिससे उसका नाश हो गया।
होती है मोक्ष की प्राप्ति
माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता ये भी है कि इस दिन व्रत करने वाले जातकों की सारी परेशानी भगवान विष्णु हर लेते हैं।