प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने कहा कि मकर संक्रांति का त्यौहार आपस में प्रेम बढ़ाने का त्यौहार है. वे सोमवार को महल गांधीगेट रेणुका प्लाजा अपार्टमेंट स्थित सूरज जैन पेंढारी के निवास पर हुई धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ज्योतिष के अनुसार सूर्य 30 दिन के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. सूर्य आज से मकर राशि में चला गया है और उत्तरायण शुरू हुआ है. इससे दीक्षा, विवाह, प्रतिष्ठा आदि पंचकल्याणक मांगलिक कार्य संभव हो सकेंगे.
साल में 12 संक्रांति होती है. इसे समझना जरूरी है. स्वास्थ विज्ञान, आयुर्विज्ञान, अलग रास्ता बताता है. मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन ऐसे 12 महीने सूर्य अपनी राशि बदलता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य विमान है, सूर्य विमान में अकृतिम चैत्यालय है.
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संक्रांति के दिन सूर्य की अमृत दृष्टि, अमृत किरणें होती हैं, उन किरणों का लाभ लेना चाहिए. इसके पीछे स्वास्थ विज्ञान है और अधिक सूर्य की किरणें हमारे अंदर चली जाए, इसके लिए तिल स्नान होता है. आपस में तिल गुड़ देना सामाजिक समरसता का प्रतीक है.
तिल गुड़ के समान मीठा बोलना चाहिए. आपस का प्रेम बढ़ाने का त्यौहार है, यह सामाजिक पर्व है, उसके पीछे स्वास्थ विज्ञान है, आयुर्विज्ञान है, धार्मिक कारण है. संचालन सूरज जैन पेंढारी ने किया.