महाभारत: जब अपनी मां कुंती को युधिष्ठिर ने दिया था ये श्राप, समस्त नारी जाति के लिए कही थी ये बात

By मेघना वर्मा | Published: May 24, 2020 11:22 AM2020-05-24T11:22:56+5:302020-05-24T11:22:56+5:30

महाभारत में श्रीकृष्ण द्वारा कही गई गीता का सार हमारे जीवन के हर मोड़ पर काम आती है। बहुत सारे प्रसंग ऐसे भी मिलते हैं जिनका आज की जिंदगी से भी मेल मिलता है।

mahabharata yudhishthira cursed all women that they can not hide the secret | महाभारत: जब अपनी मां कुंती को युधिष्ठिर ने दिया था ये श्राप, समस्त नारी जाति के लिए कही थी ये बात

महाभारत: जब अपनी मां कुंती को युधिष्ठिर ने दिया था ये श्राप, समस्त नारी जाति के लिए कही थी ये बात

Highlightsकुंती ने अपनी तपस्या से महर्षि दुर्वासा को प्रसन्न कर लिया था। कुंती ने सबसे पहले सूर्य देव का आवाहन किया।

महाभारत के बहुत सारे प्रसंग हमें जिंदगी की सीख सिखा जाते हैं। महाभारत में श्रीकृष्ण द्वारा कही गई गीता का सार हमारे जीवन के हर मोड़ पर काम आती है। बहुत सारे प्रसंग ऐसे भी मिलते हैं जिनका आज की जिंदगी से भी मेल मिलता है। शायद ही आपको पता हो कि धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी मां कुंती की एक भूल पर पूरी नारी जाती को श्राप दिया था।

महाभारत, हिन्दूं ग्रंथों के कुछ सबसे प्राचीन धर्म ग्रंथों में से एक है। महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने कि थी। इसी में युधिष्ठिर के दिए हुए श्रापों का जिक्र मिलता है। आइए आपको बताते हैं उस श्राप कि कथा-

बताया जाता है जब महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अंगराज कर्ण का वध कर दिया था तब पांडवों की माता कुंती, कर्ण की मृत्यु पर विलाफ करने लगीं। माता को कर्ण के लिए आंसू बहाते देख युधिष्ठिर ने कुन्ती से प्रश्न किया। उन्होंने पूछा कि वो शत्रु की मृत्यु पर विलाप क्यों कर रही हैं। तब कुंती ने बताया कि ये शत्रु नहीं बल्कि युधिष्ठिर के ज्येष्ठ भाई थे।

लंबे समय से अपने अंदर छिपाये इस राज को जब कुंती न उजागर किया तो युधिष्ठिर अत्यंत दुखी हो गए। माता कुन्ती की बात पर उन्हें क्रोध भी अत्यधिक आया। जिसे सुनने के बाद युधिष्ठिर ने कहा कि माता कुंती ने उन्हें उन्हीं के ज्येष्ठ भाई का हत्यारा बना दिया। इस पर क्रोधित होकर युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को श्राप दिया।

युधिष्ठिर ने कहा कि श्राप देता हूं कि अब समस्त नारी जाति चाहकर भी कोई भी बात अपने हृदय में छिपाकर नहीं रख पायेगी। अब ऐसा माना जाता है कि युधिष्ठिक के इसी श्राप के कारण आज भी स्त्रियां अपने भीतर कोई बात नहीं छिपा सकती हैं। इस श्राप का असर आज भी नारी जाति पर देखा जाता है। 

कुंती पुत्र कर्ण के जन्म की बात करें तो बताया जाता है कि कुंती ने अपनी तपस्या से महर्षि दुर्वासा को प्रसन्न कर लिया था। प्रसन्न होकर महर्षि दुर्वासा ने कुंती को एक मंत्र और वरदान दिया। महर्षि ने कहा तुम इस मंत्र से जिस-जिस देवता का आवाहन करोगी, उसी के अनुग्रह से तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा। 

कुंती ने सबसे पहले सूर्य देव का आवाहन किया। जिसके फलस्वरूप कुंती को कवच-कुंडल धारी सूर्य पुत्र कर्ण प्राप्त हुआ। मगर लोक-लाज के डर से कुंती ने उसे नदी में प्रवाहित कर दिया। मगर कर्ण से उन्हें हमेशा मोह रहा। पाण्डु से विवाह के बाद कुंती के आवाहन से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन हुए। 
 

Web Title: mahabharata yudhishthira cursed all women that they can not hide the secret

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