महाभारत की कथा: श्रीकृष्ण के चावल के एक दाना खाने से जब भर गया हजारों का पेट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 23, 2019 11:07 AM2019-09-23T11:07:21+5:302019-09-23T11:07:21+5:30

Mahabharat Story In Hindi (महाभारत की कथा): पांडवों इस बात से चिंतित थे कि अब वन में वे इतनी जल्दी ऋषि दुर्वासा और उनके शिष्यों के लिए भोजन की व्यवस्था कैसे करें। तभी श्रीकृष्ण वहां आ गये।

Mahabharat story in hindi When Shri Kirshna saved Pandav from Durvasa Muni anger | महाभारत की कथा: श्रीकृष्ण के चावल के एक दाना खाने से जब भर गया हजारों का पेट

श्रीकृष्ण के चमत्कार से बच गई पांडवों की लाज

Mahabharat: द्वापरयुग में श्रीकृष्ण की भूमिका केवल महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों की जीत में अहम नहीं रही बल्कि उससे पहले भी कई मौकों पर उन्होंने द्रौपदी और पांडु पुत्रों की मदद की। महाभारत की कथा में कई बार श्रीकृष्ण इस बात का उल्लेख करते हैं कि धर्म पांडवों के साथ है इसलिए वे भी पांडु पुत्रों के साथ हैं। फिर वह चाहे द्रौपदी के चीरहरण का प्रसंग हो, अर्जुन को युद्ध के लिए ब्रह्मास्त्र हासिल करने के लिए प्रेरित करने की बात या फिर शांतिदूत बन हस्तिनापुर जाकर पांडव पर युद्ध के लिए लालायित होने के आरोप को गलत साबित करने की बात, श्रीकृष्ण ने हर मौके पर पांडवों का साथ दिया। 

यही कारण रहा कि कई मौकों पर दुर्योधन अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद पांडवों को नुकसान नहीं पहुंचा सका। इसी में से एक महर्षि दुर्वासा और उनके शिष्यों को भोजन के लिए जंगल में रह रहे पांडवों के पास भेजने की योजना, जिसे श्रीकृष्ण ने विफल कर दिया।

Mahabharat Story: श्रीकृष्ण ने जब पांडवों को दुर्वासा ऋषि के शाप से बचाया

महाभारत की कथा के अनुसार यह तब की बात है जब द्युत क्रीडा में अपना सबकुछ हारने के बाद पांडव जंगल में रहने आ गये थे। शर्त के अनुसार उन्हें 12 वर्ष वनवास और एक वर्ष अज्ञातवास काटना था। इसी वनवास के दौरान एक बार महर्षि दुर्वासा अपने हजारों शिष्यों के साथ पांडवों की कुटिया में आ पहुंचे। उन्होंने स्नान के बाद भोजन की इच्छा प्रकट की। युधिष्ठिर इसे टाल नहीं सकते थे लेकिन पांडवों की एक समस्या थी।

उस समय युधिष्ठिर के पास एक अक्षय पात्र था। यह सूर्यदेव से उन्हें प्राप्त हुआ था। इससे दिन में एक बार जितना चाहे भोजन प्राप्त हो सकता था। दुर्वासा ऋषि लेकिन जब पांडवों के पास पहुंचे थे तब तक द्रौपदी समेत सभी पांचों भाई भोजन कर चुके थे। ऐसे में अब सवाल था कि दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों के लिए इतनी जल्दी भोजन का प्रबंध कैसे किया जाए।

Mahabharat Story: दुर्योधन ने चली थी चाल

इस पूरे प्रसंग में दिलचस्प बात ये थी कि दुर्वासा ऋषि को दुर्योधन ने ही पांडवों के पास भेजा था। दरअसल, ऋषि दुर्वासा पहले हस्तिनापुर गये थे। वहां उनका खूब सत्कार हुआ। दुर्योधन ने मौका देखते हुए चतुराई की और ऋषि से कहा कि उसकी इच्छा है कि ऋषि दुर्वासा उसके चचेरे भाई पांडवों के पास भी जाएं और उन्हें सेवा करने का मौका दें ताकि ऋषि का आशीर्वाद पांचों भाईयों को मिल सके।

ऋषि दुर्योधन की असल बात नहीं समझ सके और उन्होंने कहा कि दुर्योधन को अपने भाइयों की इतनी चिंता है तो वे पांडवों के पास जरूर जाएंगे। दुर्वासा ऋषि के क्रोध और शाप से सभी परिचित थे इसलिए दुर्योधन को लगा कि जंगल में अगर ऋषि का सत्कार अच्छे से नहीं हुआ तो वे पांडवों को जरूर शाप देंगे।

Mahabharat Story: श्रीकृष्ण ने किया चमत्कार

पांडव इधर जंगल में इस चिंता में डूबे थे कि अब क्या किया जाए। दुर्वासा जब स्नान आदि कर अपने शिष्यों के साथ उनकी कुटिया में आएंगे तो वे क्यों परोसेंगे। इसी चिंता में द्रौपदी ने भगवान कृष्ण का ध्यान किया और मदद मांगने लगी। श्रीकृष्ण उसी क्षण वहां पहुंच गये और कुटिया में प्रवेश करते ही द्रौपदी से कहा कि उन्हें बहुत भूख लगी है, कुछ खाने को दो। द्रौपदी ने अपना सिर झुका लिया और कहा कि अब तो वे भी भोजन कर चुकी हैं और ऐसे में उस बर्तन में कुछ भी नहीं बचा है।

हालांकि, श्रीकृष्ण कहां मानने वाले थे। उन्होंने द्रौपदी से वह बर्तन लाने को कहा। द्रौपदी उस पात्र को ले आईं। श्रीकृष्ण ने बर्तन को अपने हाथ में लिया और हाथ लगाकर देखने लगे। इस में उन्हें चावल का एक दाना मिल गया जिसे उन्होंने खाते हुए कहा कि अब उनकी भूख मिट गई। इधर श्रीकृष्ण ने चावल का एक दाना खाया जबकि उधर ऋषि दुर्वासा समेत सभी शिष्यों को ऐसा अनुभव हुआ जैसे कि उनका पेट भर गया हो।

बहरहाल, श्रीकृष्ण ने चावल का दान खाने के बाध सहदेव को नदी किनारे जाकर दुर्वासा ऋषि को बुला लाने को कहा। सहदेव जब वहां पहुंचे तो देखा कि नदी किनारे दुर्वासा और उनके सभी शिष्य आराम कर रहे थे। पांडु पुत्र ने उन्हें भोजन के लिए चलने को कहा लेकिन दुर्वासा समेत सभी ने यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें ऐसा अनुभव हो रहा है कि जैसे कि उनका पेट गले तक भर गया हो।

इसके बाद सभी ऋषि से वहां से चले गये। सहदेव ने वापस आकर पूरी बात बताई। यह सुन द्रौपदी और पांडवों को अनुमान हो गया कि श्रीकृष्ण ने अपने चमत्कार से एक बार फिर उनकी लाज रख ली। 

English summary :
According to the legend of Mahabharata, this is when the Pandavas came to stay in the forest after losing everything in the gambling game. As per the condition, he was to undergo 12 years of exile and one year of exile. During this exile, Maharishi Durvasa once came to the Pandavas hut with thousands of his disciples.


Web Title: Mahabharat story in hindi When Shri Kirshna saved Pandav from Durvasa Muni anger

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