महाभारत: द्रौपदी के पिता ने ही बेटी के लिए मांगा था जीवन भर का कष्ट! हैरान करने वाला है कारण-पढ़ें रोचक कथा

By मेघना वर्मा | Published: April 21, 2020 09:40 AM2020-04-21T09:40:13+5:302020-04-21T09:40:13+5:30

महाभारत के कुछ मुख्य किरदारों में एक थीं पांडवों की पत्नी द्रोपदी। जिन्होंने अग्नि से जन्म लिया था। उन्हीं के अपमान का बदला लेने के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया था।

mahabharat draupadi birth story in hindi, drupada demanded life time problems for her daughter read the katha | महाभारत: द्रौपदी के पिता ने ही बेटी के लिए मांगा था जीवन भर का कष्ट! हैरान करने वाला है कारण-पढ़ें रोचक कथा

महाभारत: द्रौपदी के पिता ने ही बेटी के लिए मांगा था जीवन भर का कष्ट! हैरान करने वाला है कारण-पढ़ें रोचक कथा

Highlightsद्रपुद ने यज्ञ में आहुति देने से मना कर दिया।द्रपुद ने क्रोधित होकर पुत्री के लिए देवताओं से जीवन भर का दुख मांग लिया।

सनातन धर्म में महाभारत को सबसे प्राचीन ग्रंथ माना गया है। वहीं देश में चल रहे लॉकडाउन को देखते हुए सरकार ने दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत जैसे कई पुराने धारवाहिकों को फिर से प्रसारित कर दिया है। इसी क्रमवार में महाभारत भी लोगों के दिलों को जीत रहा है। महाभारत के सभी किरदार लोगों के दिलों में अपना घर बना रहे हैं। 

महाभारत के कुछ मुख्य किरदारों में एक थीं पांडवों की पत्नी द्रोपदी। जिन्होंने अग्नि से जन्म लिया था। उन्हीं के अपमान का बदला लेने के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। जिसमें पांडवों को विजय प्राप्त हुई थी। बताया जाता है कि द्रौपदी को जीवन भर कष्ट सहना पड़ा। सिर्फ यही नहीं बताया तो ये भी जाता है कि द्रौपदी के इस कष्ट की कामना उन्हीं के पिता ने की थी। आप भी पढ़िए द्रौपदी के जन्म की कहानी-

द्रपुद को यज्ञ में प्राप्त हुई बेटी

धारावाहिक में द्रौपदी के जन्म की पूरी कहानी दिखाई गई है। जिसके अनुसार पांचाल के राजा द्रपुद अपने लिए पुत्र चाहते थे। जिससे वे ऋषि द्रोण से अपने अपमान का बदला ले सकें। द्रपुद को अपने पुत्र की प्राप्ति यज्ञ से होनी थी मगर इस यज्ञ से उन्हें बेटी प्राप्त हुई। बस तभी द्रपुद  की सारी अकाक्षांए चकना-चूर हुईं और उनका क्रोध चरम पर आ गया।

जब देवताओं से मांगा पुत्री के लिए कष्ट

द्रोण के साथ द्रपुद की दुश्मनी थी। अर्जुन ने उनके आधे राज्य को जीतकर ऋषि द्रौण को दे दिया था। इसी कारण से द्रपुद के मन में ज्वाला सुलग रही थी। पुत्र की प्राप्ति के लिए उन्होंने विशेष यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें से उन्हें पुज्ञ धृष्टधुम्न की प्राप्ति हुई। मगर इसी यज्ञ से उन्हें बेटी भी प्राप्त होनी थी। 

तब द्रपुद ने यज्ञ में आहुति देने से मना कर दिया। सभी देवताओं ने यह कार्य पूरा किया। द्रपुद ने क्रोधित होकर पुत्री के लिए देवताओं से जीवन भर का दुख मांग लिया। द्रपुद यज्ञ की अग्नि में एक-एक करके सभी चीजों की आहुति देता है साथ-साथ वे अपनी पुत्री के लिए कष्ट भी मांग लेता है। 

दी ये आहूतियां

राजा द्रपुद ने यज्ञ में जब आहुति डालनी शुरू की तो कहते चले गए, अबीर की आहुति देते हुए उन्होंने कहा कि अबीर की भांति पवित्र चरित्र हो उसका लेकिन फिर भी उसे संसार की सारी अपवित्रता प्राप्त हो। धान की आहुति देते हुए बोले धान की भांति सबको बल दे सके ऐसी शक्ति हो उसके दिल में लेकिन ऐसे प्रसंग उसे मिलते रहें जो जीवन भर किसी को भी निर्बल बना दें। पुष्प जब कुचल जाता है तो खुशबू देता है, मांगता हूं मैं उस कन्या के साथ बार-बार अन्याय हो फिर भी वो न्याय की सुगंध फैलाती रहे। 

इस यज्ञ से जन्मीं द्रपुद की बेटी द्रौपदी। जो आगे चलकर द्रपुद की सबसे चहीती संतान भी बनीं। मगर जीवन भर इन्हें कष्टों का सामना करना पड़ा। 
 

Web Title: mahabharat draupadi birth story in hindi, drupada demanded life time problems for her daughter read the katha

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