प्रयागराज के संगम पर कुंभ मेले में सोमवार (4 फरवरी) को मौनी अमावस्या के दूसरे शाही स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला निकला। तड़के सुबह से ही सन्यासी अखाड़ों के संन्यासियों ने स्नान की शुरुआत कर दी थी। वहीं, श्रद्धालुओं का रेला लगातार शाही स्नान कर रहा है। मौनी अमावस्या पर सोमवार को दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां कुम्भ मेले में गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और मौन रहकर व्रत करने का होता है।
क्या है मौनी अमावस्या?
माघ महीने की अमावस्या को हिन्दू धर्म में माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यूं तो साल में बारह बार अमावस्या आती है और हर अमावस्या पर पूजा-पाठ, व्रत किया जाता है किन्तु माघ महीने की मौनी अमावस्या का महत्व अधिक माना गया है। इसदिन गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व होता है। यदि पवित्र नदी तक ना पहुंच सकें तो गंगा जल से स्नान करने से भी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या शुभ संयोग
ज्योतिष परिणामों की मानें तो इस बार अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ रही है। इससे दुलर्भ संयोग बनाता। सोमवार चन्द्रमा का दिन होता है और मौनी अमावस्या को चन्द्रमा का नक्षत्र 'श्रवण' ही होगा। इन दो संयोगों से इस साल की मौनी अमावस्या को ढेर सारे शुभ फल प्रदान करने वाली माना जा रहा है। लाभ पाने के लिए पवित्र नदी में स्नान करें या फिर घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी फल प्राप्ति हो जाएगी।
मौन रहकर करें व्रत:
मौनी अमावस्या का नाम मौनी इसलिए भी पड़ा क्योंकि इसदिन मौन रहकर व्रत किया जाता है। व्रत का संकल्प लेने वाला साधक पूरे दिन तक कुछ नहीं कहा सकता। उसे शांत रहकर ईश्वर को अपना समय देना होता है। व्रत का पारण करें के बाद ही वह कुछ कह सकता है।