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Kharmas 2019: आज से लग रहा है खरमास, भूलकर भी ना करें ये 5 वर्जित काम-जानिए क्यों लगता है खरमास

By मेघना वर्मा | Updated: December 13, 2019 15:21 IST

खरमास के शुरू होते ही महीने भर के लिए सभी तरह के शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। फिर चाहे वो शादी से जुड़ी कोई रस्म हो या गृह निर्माण से जुड़ी। इस महीने किया गया कोई भी कार्य अपशगुन माना जाता है।

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ठळक मुद्देखरमास के समय कोई भी कार्य सफल नहीं हो पाता।खरमास अब अगले साल 14 जनवरी 2020 को खत्म होगा।

सनातन धर्म में हिन्दी महीने के अपने अलग-अलग महत्व हैं। कुछ महीने को बेहद शुभ माना जाता है तो वहीं कुछ महीने को अशुभ बताया जाता है। कुछ महीने ऐसे होते हैं जिनमें किसी भी कार्य को किया जा सकता है वहीं कुछ महीने में शुभ कार्य करने की मनाही होती है। पौष मास इन्हीं महीनों में से एक है। पौष का महीना आज यानी 13 दिसंबर से शुरू हो चुका है और इसी के साथ शुरू हो गया है खरमास।

खरमास के शुरू होते ही महीने भर के लिए सभी तरह के शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। फिर चाहे वो शादी से जुड़ी कोई रस्म हो या गृह निर्माण से जुड़ी। इस महीने किया गया कोई भी कार्य अपशगुन माना जाता है। मान्यता ये भी है कि खरमास के समय कोई भी कार्य सफल नहीं हो पाता। खरमास अब अगले साल 14 जनवरी 2020 को खत्म होगा। कोई भी शुभ कार्य अब 14 जनवरी से शुरू होगें।

खरमास या मलमास पौष माह की शुरू होनेवाली पहली तिथि से मकर संक्रांति तक यानी 14 जनवरी 2020 तक चलेगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो गुरु अस्त और धनु संक्रांति खरमास के कारण शुभ मुहूर्त का अभाव रहता है। वहीं एक महीने तक विवाह, मुंडन, व्रत उद्यापन, घर का निर्माण और ग्रहप्रवेश जैसे काम करना वर्जित माना जाता है। 

क्यों लगता है खरमास

ज्योतिषशास्त्रों की मानें तो खरमास के महीने में सूर्य की शक्तियां कम हो जाती हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए जरूरी है कि सूर्य प्रबल रहे। मगर जब सूर्य गुरु राशि में प्रवेश करता है तो इसकी स्थिति बहुत कमजोर हो जाती है। इस पूरे महीने लोग भगवद्गीता, रामायण, रामचरितमानस जैसे आध्यात्मिक ग्रंथ लोगों को दान करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। खरमास के दिन बहुत से लोग तीर्थ यात्रा पर भी निकल जाते हैं। 

करिए सूर्य की उपासना

खरमास के दौरान सूर्य की पूजा करना शुभ माना जाता है। वहीं इस पूरे महीने गंगा अथवा पवित्र नदी में स्नान आदि के साथ दान और पुण्य किया जाता है। इस पूरे महीने सूर्य की पूजा की जाती है। जिससे लाभ होते हैं। 

खरमास की पौराणिक मान्यता

लोक कथाओं के अनुसार खर मास को बुरा मास मानने के पीछे भी एक पौराणिक कहानी है। खर गधे को कहते हैं। वहीं मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार ब्रह्मांड की परिक्रमा करने निकलते हैं। इस दौरान सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं होती, लेकिन सूर्य के सातों घोड़े सालों-साल निरंतर दौड़ते रहने से प्यास से व्याकुल हो जाते हैं। 

ऐसी स्थिति से बचने के लिए सूर्य एक तालाब के निकट अपने सातों घोड़ों को पानी पिलाने के लिए रुकते हैं। मगर उन्हें याद आता है कि उन्हें अपनी ये यात्रा किसी भी हालत में रोकनी नहीं हैं। ऐसे में कुंड के पास खड़े वह गधों को अपने रथ से जोड़ लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। जिससे उनकी गति भी धीमी हो जाती है। इसलिए खरमास का ये महीना अशुभ बताया जाता है।

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