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केरल के सबरीमला मंदिर में भक्तों की भारी भीड़, प्रशासन ने कहा जो महिलाएं करना चाहती हैं दर्शन उन्हें करना होगा ये काम

By भाषा | Updated: November 17, 2019 13:32 IST

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ठळक मुद्देकड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खोल दिए गए और पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।पहले ही दिन पुलिस ने प्रतिबंधित आयु वर्ग की 10 महिलाओं को रास्ते से ही वापस भेज दिया।

केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में दर्शन के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दो महीने तक चलने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा ‘मंडल-मकरविलक्कू’ का आज दूसरा दिन है। मुख्य पुजारी ए के सुधीर नम्बूदरी ने मंदिर के गर्भगृह को तड़के तीन बजे खोला और विशेष पूजा-अर्चना-‘नेय्याभिषेकम’ और ‘महागणपति होमम’ (भगवान गणेश की पूजा) की। पुजारी द्वारा पूजा किए जाने के बाद हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की।

शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खोल दिए गए और पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मलयालम महीने 'वृश्चिकओम’ के पहले शुभ दिन जब मंदिर खोला गया, तब देवस्वओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन, त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष एन वासु, टीडीबी के सदस्य एन विजयकुमार और केएस रवि और देवस्वओम आयुक्त एम हर्षन सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। देवस्वओम मंत्री ने आज सन्निधानम अतिथिगृह में सभी विभागों के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है।

पुलिसकर्मियों की पहली टुकड़ी ने शनिवार को सुरक्षा की कमान संभाल ली। राज्य में मंदिरों का प्रबंधन करने वाले देवस्वओम बोर्ड ने श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए व्यापक व्यवस्था की है। वहीं, पहले ही दिन पुलिस ने प्रतिबंधित आयु वर्ग की 10 महिलाओं को रास्ते से ही वापस भेज दिया। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश और अन्य धर्म से जुड़े मामलों को वृहद पीठ को भेज दिया है।

पिछले साल 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चा सरकार द्वारा इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे। हालांकि, इस साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई। लेकिन केरल सरकार ने इस बार कहा कि मंदिर आंदोलन का अखाड़ा नहीं है और वह उन महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी जो प्रचार के लिए आएंगी।

पुलिस ने बताया कि पहले दिन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आए 30 लोगों के समूह में शामिल 10 महिलाओं को मंदिर से पांच किलोमीटर दूर पम्पा से ही वापस भेज दिया गया। इन महिलाओं को पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित आयु सीमा 10 से 50 साल के बीच पाया गया था। पुलिस के मुताबिक पम्पा आधार शिविर के पास विजयवाड़ा से आए समूह में शामिल लोगों के पहचान पत्र की जांच की गई और प्रतिबंधित आयु सीमा में होने की वजह से सबरीमला में मौजूदा स्थिति की जानकारी देकर 10 युवा महिलाओं को वापस भेज दिया गया। इसके बाद वे लौट गईं।

इस साल दो जनवरी को प्रतिबंधित उम्र की दो महिलाओं- बिंदू और कनकदुर्गा ने मंदिर में प्रवेश कर इतिहास रच दिया था। हालांकि देवस्वओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन कहा कि 10 से 50 आयु वर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं। मंदिर के तंत्री (पुरोहित) कंडरारू महेश मोहनरारू ने कल शाम पांच बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट खोले और पूजा अर्चना की। केरल के पथनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट के आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित मंदिर में केरल, तमिलनाडु और अन्य पड़ोसी राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।

तंत्री के ‘पदी पूजा’ करने के बाद श्रद्धालुओं, जिन्हें दो बजे दोपहर को पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति दी गई, ने इरुमुडीकेट्टू (प्रसाद और चढ़ावे की पवित्र पोटली) के साथ मंदिर के पवित्र 18 सोपानों पर चढ़कर भगवान अयप्पा के दर्शन किए। इस बीच, एके सुधीर नम्बूदरी ने सबरीमला मंदिर के ‘मेलशांति’ (मुख्य पुजारी) की जिम्मेदारी संभाली। बोर्ड इस वर्ष सबरीमला तीर्थयात्रा के तीन प्रमुख अधार स्थलों- नीलक्कल, पम्पा और सन्निधानम में पहले ही विश्रामस्थल का निर्माण कर चुका है।

इसके अलावा चिकित्सा, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की गई है। तीर्थयात्रा के दौरान भगवान अयप्पा मंदिर के आसपास करीब 10,000 पुलिसकर्मी चरणबद्ध तरीके से तैनात रहेंगे। उल्लेखनीय है कि सबरीमला मंदिर पेरियार बाघ संरक्षण क्षेत्र में है और इसके कपाट श्रद्धालुओं के लिए केवल मंडलपूजा, मकरविलक्कू और विशू उत्सव के लिए खोले जाते हैं। इस तीर्थयात्रा सत्र के दौरान मंदिर 27 दिसंबर तक मंडलपूजा के लिए खुला रहेगा और फिर तीन दिन के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर के कपाट दोबारा 30 दिसंबर को मकरविलक्कू के लिए खुलेंगे और मंदिर के कपाट 20 जनवरी को बंद कर दिए जाएंगे। 

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