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करवा चौथ के लिए कुंवारी कन्याएं इस पूजा विधि और व्रत नियमों का करें पालन, पाएंगी उत्तम वर (पति)

By गुलनीत कौर | Updated: October 27, 2018 16:05 IST

Karva Chauth Special Fasting Rules & Puja vidhi for unmarried Girls:सुहागनों की तरह ही कुंवारी कन्याएं श्रृंगार करती हैं, नए वस्त्र धारण करती हैं किन्तु इनके व्रत तोड़ने का तरीका अलग होता है

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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व सुहागनों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन सुहागनें निर्जला उपवास करती हैं और शाम को चांद देखने के बाद ही जल-अन्न ग्रहण करती हैं। इस साल 27 अक्टूबर, 2018 को करवा चौथ है। शाम 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 6 बजकर 54 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है।

बताया जा रहा है कि इस मुहूर्त में कई शुभ संयोग बन रहे हैं जिस वजह से पूजा करना फलदायी माना जाएगा। करवा चौथ व्रत को यूं तो सुहागनों द्वारा पति की लम्बी आयु की कामने करने के उद्देश्य से ही जाना जाता है, लेकिन यह व्रत कुंवारी कन्याओं के बीच भी प्रचलित है। इनके द्वारा भी करवा चौथ का व्रत किया जा सकता है, फर्क सिर्फ इतना है कि ये कन्याएं भविष्य में अच्छा वर (पति) पाने के लिए व्रत करती हैं।

अब जिस तरह से सुहागन महिला और कुवारी कन्या के बीच करवा चौथ करने के उद्देश्य में अंतर है, ठीक इसी प्रकार से इस करवा चौथ के नियमों में भी कुछ फर्क पाया जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ पर कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत के नियम और पूजा की विधि:

- सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों ही इस दिन निर्जला उपवास करती हैं लेकिन सुहागनों को सुबह की सरगी सास द्वारा दी जाती है। कुंवारी कन्याएं स्वयं ही सरगी खरीदकर सूर्य उदय से पहले उसका सेवन करती हैं- दोनों दिनभर के लिए जल और अन्न का त्याग करती हैं, शाम होने पर सुहागनें अपनी थाली सजाकर व्रत के रिवाजों को पूरा करती हैं। जबकि कुंवारी कन्याएं केवल गणेश या शिव भगवान की पूजा करती हैं

ये भी पढ़ें: यहां जानें करवा चौथ की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा के समय इन नियमों का जरूर करें पालन

- सुहागनों की तरह ही कुंवारी कन्याएं श्रृंगार करती हैं, नए वस्त्र धारण करती हैं किन्तु इनके व्रत तोड़ने का तरीका अलग होता है- सुहागनें चांद देखकर व्रत पूरा करती हैं लेकिन कुंवारी कन्याओं को चांद की बजाय तारे देखकर अपना व्रत खोलना होता है- सुहागनें छलनी से चांद को देखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं बिना छलनी से ही तारों को देखती हैं- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में चांद को पति का रूप माना जाता है इसलिए कुंवारी कन्याएं चांद देखकर व्रत नहीं खोलती हैं- ये कन्याएं व्रत खोलने के लिए तारे देखती हैं और उसके बाद स्वयं अपने ही हाथों से कुछ मीठा खाकर व्रत को खोलती हैं

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