Karva Chauth 2019: कल है करवा चौथ, विवाहित महिलाएं सुहाग के इन सामानों का करें दान, मिलेगा शुभ फल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 16, 2019 07:14 PM2019-10-16T19:14:03+5:302019-10-16T19:14:03+5:30

Karva Chauth 2019: इस पूजा में महिलाएं सुहाग के सामान को भी दान करती हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली से जानिए किन सुहाग के सामानों को भेंट करने से मिलता है शुभ लाभ।

Karva Chauth 2019: know the date, time, significance and puja vidhi married women should donate these items of Suhag | Karva Chauth 2019: कल है करवा चौथ, विवाहित महिलाएं सुहाग के इन सामानों का करें दान, मिलेगा शुभ फल

Karva Chauth 2019: know the date, time, significance and puja vidhi married women should donate these items of Suhag

करवा चौथ जिसे संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। कल (17 अक्टूबर) करवा चौथ है। करवा चौथ का इंतजार सभी विवाहित स्त्रियां साल भर करती हैं। साथ ही इसकी पूजा विधि और व्रत विधि को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा करती हैं। करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है। हर साल  कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस पूजा में महिलाएं सुहाग के सामान को भी दान करती हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली से जानिए किन सुहाग के सामानों को भेंट करने से मिलता है शुभ लाभ।

ये है शुभ मुहूर्त

व्रत समय: सुबह 6:21 से रात 8:18 बजे तक 
उपवास का समय : 13 घंटे, 56 मिनट है
पूजा का मुहूर्त- शाम 5:50 से 7:06  
चांद निकलने का समय : 8:18 बजे 
सर्गी खाकर होती है व्रत की शुरूआत
महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं। यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं। दिन भर निराजली व्रत करने के बाद शा को शिव,पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है।

चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं। पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है।

करवा चौथ व्रत विधान

उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि व्रत रखने वाली स्त्री सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान और संध्या की आरती करके, आचमन के बाद संकल्प लेकर यह कहें कि मैं अपने सौभाग्य एंव पुत्र-पौत्रादि तथा अखंड सौभाग्य की ,अक्षय संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी। यह व्रत निराहार ही नहीं अपितु निर्जला के रूप में करना अधिक फलप्रद माना जाता है।इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान है।

इन चीजों को करें दान
करवा चौथ के दिन चंद्रमा, शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा की जाती है। इसके बाद एक तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग के सामान को रखकर अपने से बड़ी उम्र की सुहागिनों को दान में दिया जाता है।

दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि इन सुहाग के सामानों में सिंदूर, चूडियां, शीशा, कंघी, रिबन और रुपया रखना जरूरी होता है। वैसे तो इन सबमें सभी चीजें जरूरी हैं मगर सिंदूर और चूड़ियां बेहद महत्वपूर्ण है।

इसे दान करने के बाद महिलाओं को अपनी सास के पांव छूकर उन्हें ये सामान भेंट करना चाहिए। सायं बेला पर पुरोहित से कथा सुनें, दान-दक्षिणा दें। तत्पश्चात रात्रि में जब पूर्ण चंद्रोदय हो जाए तब चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य दें। आरती उतारें और अपने पति का दर्शन करते हुए पूजा करें। इससे पति की उम्र लंबी होती है।उसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।

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