करवाचौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए सबसे जरूरी माना जाता है। ये व्रत पति और पत्नी के खूबसूरत रिश्तें की गवाही देता है। करवाचौथ में हर पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती हैं। इस बार प्यार और चांद को पूजने का ये व्रत 17 अक्टूबर को पड़ रहा है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ने वाले इस व्रत की तैयारियों में महिलाएं अभी से ही व्यस्त हो गई हैं।
करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएं गौरी और गणेश की विधि-विधान से पूजा करती हैं। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। इस पूजा के लिए महिलाएं खूब सजती सवंरती हैं। मगर क्या आप जानती हैं कि महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करती हैं। इन साज-सज्जा के समानों कुछ जरूरी चीजें होती हैं जिसे इस्तेमाल करना जरूरी होता है।
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आज हम आपको यहां श्रृंगार के सामान की लिस्ट बताने जा रहे हैं।
1. सिंदूर : हिन्दू धर्म में सिंदूर की मान्यता सबसे अधिक बताई गई है। स्त्रियों के सुहाग की इस निशानी को सबसे जरूरी बताया जाता है। विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।
2. बिंदी : संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है। माथे पर लगाई गई इस रंग या कुमकुम की बिंदी को भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं।
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3. काजल : काजल को महिलाओं की आंखों का सबसे खूबसूरत श्रृंगार बताया जाता है। इससे आंखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है।
4. मेहंदी : मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती हैं. ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है.
5. मांग टीका : सिंदूर के साथ पहना जाने वाला मांग टीका महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाता है। ये महिलाओं के सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।
6. गजरा : दुल्हन के जूड़े में गजरा पहनना भी 16 श्रृंगार का सबसे महत्वपूर्ण सच्चा का सामान बताया जाता है। गजरा हमेशा उस फूल से बना होना चाहिए जिनसे अच्छी सुगंध आती हो।
7. मंगलसूत्र : विवाहित महिलाओं के लिए श्रृंगार में मंगलसूत्र या हार होना जरूरी है। सुहागिनों के लिए मंगलसूत्र और हार को वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है। सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।
8. नथ : सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसलिए करवा चौथ के अवसर पर नथ पहनना न भूलें।
9. कान की बालियां : सोलह श्रृंगार में कान के लिए भी आभूषण को भी जरूरी बताया गया है। करवा चौथ पर भी अपने कान को सूना ना रखें. कोशिश करें सोने के कर्णफूल या बालियां कान में पहने।
10. चूड़ियां : सुहागिनों के लिए सिंदूर की तरह ही चूड़ियों का भी महत्व है। लाल जोड़े की तरह चूड़ियां भी पहनना महिलाओं को सजेस्ट किया जाता है।
11. लाल जोड़ा : हिन्दू सभ्यता में लाल रंग को सुहाग से जोड़ा गया है। इसीलिए शादी के समय हो या कोई तीज-त्योहार महिआलों को हमेशा ही लाल रंग के कपड़े पहनने को कहा जाता है। करवा चौथ पर भी सुहागिनों को लाल जोड़ा या शादी का जोड़ा पहनने का रिवाज है।
12. आलता : नई दुल्हनों के पैरों में आलता जरूर लगाया जाता है। श्रृंगार में एक ये श्रृंगार भी जरूरी है करवा चौथ के दिन।
14. कमरबंद: कमरबंद को घर की स्वामिनी होने का भी प्रतीक माना जाता है। कमरपेटी या कमरबंद जितना आपकी सुन्दरता को बढ़ाता है उतना ही इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।
15. बिछुआ : हिन्दू मान्यताओं में बिछुआ का भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है और दूसरी उंगलियों में पहने जाने वाले रिंग को बिछुआ।
16. पायल : माना जाता है कि सुहागिनों का पैर खाली नहीं होना चाहिए। उन्हें पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए।