Mysore Dasara: दशहरा पर्व पर मैसूर के राजा ने सोने के सिंहासन पर बैठकर किया अनुष्ठान, विश्व प्रसिद्ध है यह उत्सव

By ज्ञानेश चौहान | Updated: September 30, 2019 11:15 IST2019-09-30T11:13:49+5:302019-09-30T11:15:38+5:30

मैसूर दशहरा कर्नाटक का अधिकारिक राजकीय उत्सव है। यह उत्सव दस दिन तक चलता है जो कि न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

Karnataka: The king of Mysuru, Yaduveer Krishnadatta Wadiyar, performed rituals on Dasara festival | Mysore Dasara: दशहरा पर्व पर मैसूर के राजा ने सोने के सिंहासन पर बैठकर किया अनुष्ठान, विश्व प्रसिद्ध है यह उत्सव

Mysore Dussehra: दशहरा पर्व पर सोने के सिंहासन पर बैठकर मैसूर के राजा ने किया अनुष्ठान, विश्व प्रसिद्ध है यह उत्सव

Highlightsयह दशहरा 29 सितंबर से लेकर 8 अक्टूबर तक चलेगा।इस उत्सव पर मशहूर मैसूर पैलेस 1 लाख बल्बों की रोशनी से जगमगा जाता है।

कर्नाटक के मशहूर मैसूर दशहरे की शुरुआत पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ रविवार को हुई। इस मौके पर मैसूर के महाराज यदुवीर कृष्णादत्त चमराजा ने पूजा अर्चना की और स्वर्ण सिंहासन पर बैठ कर विशेष दरबार भी लगाया।  रविवार को प्रसिद्ध कर्नाटक लेखक एस एल भैरप्पा और मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस पारंपरिक उत्सव का उद्घाटन किया। इस साल यह दशहरा 29 सितंबर से लेकर 8 अक्टूबर तक चलेगा।



 

अधिकारिक राजकीय उत्सव है मैसूर दशहरा

मैसूर दशहरा कर्नाटक का अधिकारिक राजकीय उत्सव है। यह उत्सव दस दिन तक चलता है। यह उत्सव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इन दस दिनों तक पूरे शहर को सजाया जाता है। साथ ही मशहूर मैसूर पैलेस 1 लाख बल्बों की रोशनी से जगमगा जाता है।

विजयदशमी पर निकलेगा जुलूस
पूरा देश जहां दशहरा पर राम की रावण पर विजय का पर्व मना रहा होता है। वहीं मैसूर में दशहरा मां चामुंडा द्वारा राक्षस महिसासुर का वध करने पर मनाया जाने वाला पर्व है। विजयदशमी के दिन मैसूर की सड़कों पर जुलूस निकलता है। इस जुलूस की खासियत यह होती है कि इसमें सजे-धजे हाथी के ऊपर एक हौदे में चामुंडेश्वरी माता की मूर्ति रखी जाती है। 

सोने की बनी होती है यह मूर्ति
सबसे पहले इस मूर्ति की पूजा मैसूर के रॉयल कपल करते हैं उसके बाद इसका जुलूस निकाला जाता है। चामुंडेश्वरी माता की मूर्ति सोने की बनी होती है। यह जुलूस के साथ म्यूजिक बैंड, डांस ग्रुप, आर्मड फोर्सेज, हाथी, घोड़े और ऊंट चलते हैं। यह जुलूस मैसूर महल से शुरू होकर बनीमन्टप पर खत्म होती है। इस उत्सव की शुरुआत 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के दौर में हुई थी इस उत्सव की विजयनगर साम्राज्य के इतिहास में प्रमुख भूमिका रही है।

Web Title: Karnataka: The king of Mysuru, Yaduveer Krishnadatta Wadiyar, performed rituals on Dasara festival

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