Kanya Pujan: महाअष्टमी पर आज होगा कन्या पूजन, इन 10 समानों को पूजा में करें शामिल, जानें शुभ मुहूर्त, विधि
By उस्मान | Published: October 13, 2021 09:14 AM2021-10-13T09:14:19+5:302021-10-13T09:14:19+5:30
इस दिन घरों और झांकी स्थलों पर चरण पखारकर कन्याओं की पूजा अर्चना की जाएगी और कन्याओं को भोजन कराया जाएगा।
नवरात्रि का महीना हिन्दू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। नवरात्रों में कन्या पूजन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। बुधवार को महाअष्टमी मनाई जाएगी। इस मौके पर शहर में जगह-जगह कन्या पूजन का आयोजन किया जाएगा। घरों और झांकी स्थलों पर चरण पखारकर कन्याओं की पूजा अर्चना की जाएगी और कन्याओं को भोजन कराया जाएगा।
नवरात्रि के दिनों मां की उपासना करने के बाद लोग देवी स्वरूप छोटी कन्याओं को भोजन कराते हैं। माना जाता है कि मां दुर्गा होम और दान से उतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कन्याओं की सेवा से प्रसन्न होती हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत के बाद आठवें दिन कन्या पूजन का विधान है। जो भक्त मां के नौ दिन का व्रत करते हैं वो नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद भी व्रत का पारण करते हैं।
वैसे शास्त्रों के अनुसार अष्टमी का दिन कन्याओं के पूजन के लिए सबसे शुभ बताया जाता है। कन्या पूजन से हर तरह के विघ्न और वास्तु दोष का नाश होता है। कन्या पूजन करने के लिए भी कुछ विशेष सामग्री की जरूरत होती है।
जानें कब है अष्टमी और नवमी पूजन
हवन महाअष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त चौघडिय़ा मुहूर्त सुबह 6:26 से 7:53 लाभ सुबह 7:53 से 9:20 अमृत सुबह 10:46 से 12:13 शुभ शाम 4:32 से 5:59 लाभ शााम 7:32 से 9:06 शुभ
इन सामग्रियों को कन्या पूजन से पहले कर लें एकत्र
1. साफ जल (जिसेस कन्याओं का पैर धुलाना है।)
2. साफ कपड़ा (जिससे कन्याओं का पैर पोंछना है।)
3. रोली (कन्याओं के माथे पर टीका काढ़ने के लिए)
4. कलावा (हाथ में बांधने के लिए)
5. चावल (अक्षत)
6. फूल (आरती के बाद कन्याओं पर चढ़ाने के लिए)
7. चुन्नी (कन्याओं को उढ़ाने के लिए)
8. फल (कन्याओं को देने के लिए)
9. मिठाई (कन्याओं के भोग के लिए)
10. भोजन सामग्री
ऐसे करें कन्या पूजन
1. अष्टमी या नवमी के दिन स्नानआदि करके भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें।
2. कन्या पूजन के लिए दो साल से 10 साल तक की कन्याओं को और एक बालक को आमंत्रित करें।
3. जब कन्याएं घर में आएं तो उनके आते ही जयकारा लगाना चाहिए।
4. इसके बाद सभी कन्याओं का पैर खुद अपने हाथों से धुलें और उन्हें पोछें।
5. उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
6. इसके बाद कन्याओं के हाथ में मौली या कलावा बाधें।
7. एक थाली में घी का दीपक जलाएं और सभी कन्याओं की आरती उतारें।
8. आरती करने के बाद सभी कन्याओं को भोग लगाएं और खाने में पूरी, चना और हलवा जरूर खिलाएं।
9. भोजन के बात अपनी सामर्थ अनुसार उन्हें भेंट दें।
10. आखिरी में कन्याओं का पैर छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लें और उन्हें विदा करें।