Kalashtami: हर माह कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाले कालाष्टमी का व्रत इस बार 19 दिसंबर (गुरुवार) को पड़ा रहा है। इस दिन भगवान शिव के एक रूप काल भैरव की पूजा करने का विशेष महत्व है। काल भैरव को शिव का पांचवां अवतार माना गया है। मान्यता है कि काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध से हुई थी।
कहते हैं कि काल भैरव की विधिवत पूजा से व्यक्ति के मन में भय दूर होता है और तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही काल भैरव की पूजा करने वालों से नकारात्मक शक्तियां भी दूर रहती हैं। यही नहीं, काल भैरव की पूजा से शनि और राहू जैसे ग्रह भी शांत हो जाते हैं।
Kalashtami December 2019: जानें कैसे करें पूजा
कालाष्टमी के दिन शुद्ध मन से उपासक को उपवास करना चाहिए और भगवान शिव सहित माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। भगवान भैरव की भी पूजा करें और उन्हें जल चढ़ाएं। साथ ही भैरव कथा का पाठ करें। इस दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने का भी विधान है। कालाष्टमी व्रत में रात 12 बजे के बाद घंटा बजाकर आरती भी करें। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर रात्रि जागरण करना चाहिए।
कालाष्टमी के दिन मां दूर्गा की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत में मां काली की उपासना करने वालों को अर्ध रात्रि के बाद मां की उसी प्रकार से पूजा करनी चाहिए जिस प्रकार दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है।
Kalashtami December 2019: कालाष्टमी पर कालभैरव को चढ़ाएं ये प्रसाद
काल भैरव की पूजा में प्रसाद के तौर पर उड़द और इससे बनी चीजें चढ़ाने का विधान है। इसमें इमरती, दही बड़े आदि भी शामिल हैं। साथ ही उन्हें अबीर और गुलाल सहित चमेली का फूल भी चढ़ाया जाता है। कई जगहों पर काल भैरव को बकरे की बलि भी दी जाती है। साथ ही शराब का प्रसाद भी काल भैरव को चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शराब के प्रसाद से काल भैरव जल्द प्रसन्न होते हैं। इस दिन मंदिर में काजल और कपूर के दान की भी मान्यता है।