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Kajri Teej 2019: कजरी तीज की कथा जिसे सुने बिना अधूरा रह जाएगा आपका व्रत, जानें शुभ मुहूर्त भी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 16, 2019 11:08 IST

Kajri Teej 2019: कजरी तीज व्रत के लिए पूरे दिन पूजा का शुभ मुहूर्त है। कई क्षेत्रों में कजली तीज के मौके पर नीमड़ी माता की कथा सुनने और उनके पूजन का विशेष महत्व है।

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ठळक मुद्देकजरी तीज का व्रत इस बार 18 अगस्त को पड़ रहा हैभाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है कजरी व्रत

Kajri Teej 2019: कजरी तीज का व्रत इस बार 18 अगस्त को पड़ रहा है। मुख्य रूप सुहागिन महिलाओं का यह व्रत हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन देवी पार्वती के स्वरूप कजरी माता की पूजा करती हैं और पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं। अविवाहित लड़कियां भी अच्छे वर की कामना लिए इस पर्व को करती हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान में मनाया जाता है। कजरी तीज के मौके पर महिलाएं दिन भर उपवास करती हैं और फिर शाम को चंद्रमा के उदय के बाद उन्हें अर्घ्य देती हैं। कई क्षेत्रों में इसे कजली तीज भी कहा जाता है।

Kajri Teej Katha: कजरी तीज की कथा

कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी हालत ऐसी थी कि दो समय के भोजन करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। ऐसे में एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखने का संकल्प लिया और अपने पति से व्रत के लिए चने का सत्तू लाने को कहा। यह बात सुनकर ब्राह्मण परेशान हो गया कि आखिर उसके पास इतने पैसे तो है नहीं, फिर वह सत्तू कहां से लेकर आए।

बहरहाल, ब्राह्मण साहुकार की दुकान पर पहुंचा। वहां उसने देखा कि साहुकार सो रहा था। ऐसे में ब्राह्मण चुपके से दुकान में चला गया सत्तू लाने लगा। इतने में साहुकार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को देख लिया। उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया और चोर-चोर चिल्लाने लगा। ब्राह्मण ने तब कहा कि वह चोर नहीं है और केवल सवा किलो सत्तू लेकर जा रहा है। 

ब्राह्मण ने बताया कि उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत किया है और उसके लिए पूजा सामाग्री चाहिए। इसलिए उसने केवल सत्तू लिया है। यह सुनकर साहुकार ने ब्राह्मण की तालाशी ली तो उसके पास सही में कुछ नहीं मिला। यह देख साहुकार की आंखें नम हो गई। उसने ब्राह्मण से कहा कि अब से वह उसकी पत्नी को बहन मानेगा। इसके बाद साहुकार ने ब्राह्मण को पैसे और सामान देकर विदा किया। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और पति की आयु लंबी होती है।

Kajri Teej 2019: कजरी तीज व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कजरी तीज व्रत के लिए पूरे दिन पूजा का शुभ मुहूर्त है। भादो के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि की शुरुआत 17 अगस्त की रात 10.48 बजे से ही हो जाएगी और यह 18 अगस्त को आधी 1.13 बजे खत्म होगी। इस दिन तड़के उठे और स्नान आदि कर पूजा की तैयारी करें। नये कपड़े जरूर पहनें। इसके बाद मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाएं और विधिवत उनकी पूजा करें।

कई क्षेत्रों में कजली तीज के मौके पर नीमड़ी माता की कथा सुनने और उनके पूजन का विशेष महत्व है। पूजन से पहले गोबर और मिट्टी से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाएं। इसके पास नीम की टहनी को रोपा जाता है। साथ ही तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और उसके किनारे दीया जलाकर रखते हैं। इसके बाद एक थाली में पुष्प, हल्दी, अक्षत, चावल आदि के साथ नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है और फिर शाम को चंद्रमा का अर्घ्य देते हैं।

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