जम्मू-कश्मीर: हिमलिंग पिघलने के बाद घटने लगी अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या, इस साल केवल 4 लाख यात्रियों ने किए दर्शन

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 9, 2023 02:12 PM2023-08-09T14:12:52+5:302023-08-09T14:13:23+5:30

दरअसल कई सालों से, जबसे यात्रा की अवधि को दो से अढ़ाई माह किया गया है, कई संस्थाओं ने इसे घटाने के सुझाव दिए हैं।

Jammu and Kashmir The number of pilgrims of Amarnath Yatra started decreasing after the melting of Himling only 4 lakh pilgrims visited this year | जम्मू-कश्मीर: हिमलिंग पिघलने के बाद घटने लगी अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या, इस साल केवल 4 लाख यात्रियों ने किए दर्शन

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

श्रीनगर: जिस वार्षिक अमरनाथ यात्रा से जम्मू कश्मीर प्रशासन 4 से 5 हजार करोड़ की आमदनी की उम्मीद लगाए बैठा था उसका हाल अब यह है कि यात्रा मे शामिल होने के लिए श्रद्धालु तलाशे जा रहे हैं।

यात्रा के 40 दिनों के बाद इसमें शामिल होने वालों की संख्या अब 400-500 के बीच सिमट कर रह गई है। हालांकि लगातार खराब मौसम और हिमलिंग के कई दिन पहले ही पिघल जाने के कारण लगातार हिचकौले खा रही इस बार की यात्रा 4 लाख के आंकड़े को जरूर छू चुकी है जबकि इंतजाम 10 लाख के लिए किए गए थे।

यह बात अलग है कि इस बार आतंकियों का कोई खौफ श्रद्धालुओं में नहीं है पर मौसम की आंख मिचौनी से वे ऐसे त्रस्त हुए कि यात्रा का प्रतीक हिमलिंग भी 23 दिनों के बाद ही अंतर्ध्यान हो गया।

कल भी यात्रा में 458 श्रद्धालु शामिल हुए थे। आज भूस्खलन के कारण जम्मू से कोई जत्था रवाना नहीं किया गया। हालत यह है कि जम्मू से रवाना होने वाले जत्थों को मौसम के खलल के कारण लगातार रास्ते में रोके जाने के कारण अब श्रद्धालु जम्मू से ही वापस भी लौटने लगे हैं।

ऐसे कई श्रद्धालुओं से मुलाकात के दौरान उन्होंने हिमलिंग के पिघल जाने पर भी निराशा प्रकट करते हुए कहा था कि इतनी लंबी यात्रा में कष्ट सहने के बाद भी अगर भोले बाबा के दर्शन नहीं होते हैं तो यह दुर्भाग्य ही होगा।

जानकारी के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में कमी के कारण लंगर वालों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। आधे से अघिक लंगर वाले लौट चुके हैं। बालटाल, पहलगाम से यात्रा मार्ग पर कई शिविरों में लंगर भी वापिस जाना शुरू हो रहे हैं।

चूंकि श्रद्धालुओं की संख्या कम हो रही है इसलिए लंगर कम होना शुरू हो गए हैं। अंत तक कुछ ही लंगर रहेंगे। अमरनाथ की यात्रा तीस जून से शुरू हुई थी जो 31 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी।

पिछले कई सालों की यह परंपरा बन चुकी है कि यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघलने के उपरांत यात्रा हमेशा ढलान पर रही है। और श्राइन बोर्ड की तमाम कोशिशों के बावजूद हिमलिंग यात्रा के शुरू होने के कुछ ही दिनों के उपरांत पूरी तरह से पिघल जाता रहा है।
ऐसे में श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, यात्रा की अवधि पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता आन पड़ी है।

दरअसल कई सालों से, जबसे यात्रा की अवधि को दो से अढ़ाई माह किया गया है, कई संस्थाओं ने इसे घटाने के सुझाव दिए हैं। लंगर लगाने वाली संस्थाओं ने इसे घटा कर 25 से 30 दिनों तक ही सीमति करने का आग्रह कई बार किया है।

अगर देखा जाए तो यात्रा की अवधि कम करने की बात पर्यावरण विभाग और अलगाववादी भी पर्यावरण की दुहाई देते हुए अतीत में करते रहे हैं।

पर अब अधिकारियों को लगने लगा है कि हिमलिंग के पिघल जाने के उपरांत यात्रा में श्रद्धालुओं की शिरकत को जारी रख पाना संभव नहीं है जब तक कि हिमलिंग को सुरक्षित रखने के उपाय नहीं ढूंढ लिए जाते।

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