जम्मू-कश्मीर: 30 सालों के बाद पुलवामा में नौदल तीर्थ यात्रा में कश्मीरी पंडितों ने की शिरकत, पुरानी यादें ताजा कर भावुक हुए लोग
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 4, 2023 04:45 PM2023-09-04T16:45:30+5:302023-09-04T16:45:37+5:30
मुस्लिम समुदाय के सदस्यों और स्थानीय प्रशासन ने भक्तों के लिए व्यापक व्यवस्था की थी। स्वयंसेवक भक्तों को ताजे पानी की बोतलें और अन्य खाने की चीजें परोस रहे थे।
श्रीनगर: रविवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के सब डिवीजन त्राल क्षेत्र में सैकड़ों कश्मीरी पंडितों ने वार्षिक नौदल तीर्थ यात्रा में भाग लिया। इस उत्सव में 30 वर्षों के अंतराल के बाद भक्तों की भारी भीड़ देखी गई।
इस यात्रा का खास पहलू यह था कि पलायन के इतने सालों के बाद भी कश्मीर में पर्यटक बन कर आने वाले कश्मीरी पंडित अपने मुस्लिम पड़ौसियों से मिल कर जब यादें ताजा करते हैं तो उनकी आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ती थी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि गैर-प्रवासियों और प्रवासियों सहित बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पूजा में भाग लेने के लिए त्राल के नौदाल गांव में एकत्र हुए। भक्तों को छड़ी, जूते और कपड़े जैसे अपने सामान का भजन, पूजा और तर्पण करते देखा गया। इस अवसर पर हवन भी किया गया।
इस पवित्र यात्रा का केंद्र बिंदु एक झरने पर स्थित शिव लिंग है, जिसकी इस शुभ दिन पर बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। अतिरिक्त उपायुक्त सब डिवीजन त्राल साजिद येहया नक्वाश ने शनिवार को त्राल के नौदल गांव में तीरथ यात्रा महोत्सव की सुविधाओं का जायजा लिया था
मुस्लिम समुदाय के सदस्यों और स्थानीय प्रशासन ने भक्तों के लिए व्यापक व्यवस्था की थी। स्वयंसेवक भक्तों को ताजे पानी की बोतलें और अन्य खाने की चीजें परोस रहे थे। वार्षिक उत्सव के दौरान एक बार फिर भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली जब मुसलमानों ने इस तीर्थ उत्सव में भाग लिया और पंडित और हिंदू समुदाय के श्रद्धालुओं के लिए बेहतरीन व्यवस्था की।
इस अवसर पर एक कश्मीरी पंडित अवतार कृष्ण कौल ने कहा कि कश्मीरी गायकों ने भजन गाकर साबित कर दिया है कि वे भाईचारे और शांति के साथ हैं और वे चाहते हैं कि पंडित समुदाय कश्मीर वापस आए और कश्मीरी लोगों के साथ रहे। मंदिर तीर्थ प्रबंध समिति त्राल-अवंतीपोरा के अध्यक्ष डा रमेश कुमार भट ने कहा कि वे पंचांग के अनुसार इस शुभ दिन को नोवडल चॉयरम कहते हैं।
उन्होंने कहा कि यह दिन विभिन्न धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए अमरनाथ यात्रा के समापन के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह सदियों पुरानी परंपरा है।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के गर्मजोशी से स्वागत के लिए हम स्थानीय समुदाय के सदस्यों के बहुत आभारी हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने शांति और प्रगति तथा समाज के विभिन्न संप्रदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रार्थना की।
सिटीजन काउंसिल त्राल के अध्यक्ष फारूक अहमद त्राली के बकौल, यह त्यौहार 30 वर्षों के अंतराल के बाद अपने पुराने गौरव में मनाया गया। उन्होंने कहा कि नागरिक परिषद त्राल, फल मंडी और ग्राम कल्याण समिति ने भक्तों का खुले दिल से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वे प्रवासी कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस अवसर पर विभिन्न दलों के राजनेताओं ने भी मंदिर का दौरा किया और वहां मौजूद भक्तों का अभिवादन किया। राजनेताओं में अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के सांसद सेवानिवृत्त न्यायाधीश हसनैन मसूदी, भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर और स्थानीय डीडीसी और बीडीसी सदस्य अवतार सिंह, डा हरबख्श सिंह शामिल थे। नौदल तीर्थ यात्रा हर साल श्री अमरनाथ तीर्थयात्रा के समापन के बाद बदर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।