उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी से हर साल रथ यात्रा होती है। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को हर साल होने वाले इस विशेष आयोजन का हिंदू मान्यताओं में विशेष महत्व है। माना जाता है कि इसी दिन श्री जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के रथ खींचने से पुण्य मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ रथयात्रा में रथ को खींचने से जीवात्मा को मुक्ति मिल जाती है। हर साल इस रथ यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जगन्नाथ मंदिर में एकत्रित होते हैं। इस साल रथ यात्रा 23 जून को होगी। आइए आपको बताते हैं रथ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें-
सोने की झाड़ू से होती है रास्ते की सफाई
इस रथ यात्रा के दौरान भगवान श्री जगन्नाथ को सपरिवार विशाल रथ में बैठा कर भ्रमण करवाया जाता है। यह रथ यात्रा राजा इंद्रधुम्न की रानी गुंडीचा के महल तक होती है। भक्तगण उपवास रखकर रथ खींचते हैं। खास बात ये है कि रथ यात्रा के इस मार्ग की सफाई सोने की झाड़ू से की जाती है।
है धरती का बैकुंठ
पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने पुरी में पुरुषोतम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। रथयात्रा के पीछे पौराणिक मत यह भी है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ पुरी का जन्मदिन होता है।
पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए तैयारियां काफी पहले शुरू हो जाती हैं। रथ का निर्माण हर साल वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को विधिवत तौर पर शुरू होता है। इसमें 832 लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। किसकी मूर्ति कितनी बड़ी होगी, यह भी तय होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ जहां 16 मीटर होता है वहीं, बलराम जी का रथ 14 मीटर ऊंचा होता है। सुभद्रा जी का रथ 13 मीटर ऊंचा होता है।