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21 जून को सूर्यग्रहण के साथ ही खत्म हो जाएगा कोरोना वायरस?

By गुणातीत ओझा | Updated: June 20, 2020 12:01 IST

चेन्नई के एक वैज्ञानिक ने सूर्यग्रहण और कोरोना वायरस के बीच सीधा कनेक्शन होने का दावा किया है। न्यूक्लियर और अर्थ साइंटिस्ट डॉ. केएल सुंदर कृष्णा का दावा है कि पिछले साल 26 दिसंबर को लगने वाले सूर्यग्रहण का कोरोना वायरस से सीधा संबंध है और आने वाले 21 जून के सूर्यग्रहण के दिन कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा।

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ठळक मुद्देचेन्नई के एक वैज्ञानिक ने सूर्यग्रहण और कोरोना वायरस के बीच सीधा कनेक्शन होने का दावा किया है।वैज्ञानिक का दावा है कि कोरोना वायरस 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण के साथ ही समाप्त हो जाएगा।

21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। जिसे लेकर आध्यात्म और विज्ञान के क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई है। इस बीच एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि 21 जून लगने वाले सूर्य ग्रहण के साथ ही पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की महामारी से मुक्ति मिल जाएगी। वैज्ञानिक के इस दावे वाली खबर से सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई है। हम बात कर रहे हैं चेन्नई के वैज्ञानिक डॉ. केएल सुंदर कृष्णा की। उन्होंने सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) और कोरोना वायरस (Coronavirus) के बीच कनेक्शन का दावा किया है। न्यूक्लियर और अर्थ साइंटिस्ट डॉ. केएल सुंदर कृष्णा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा है कि पिछले साल 26 दिसंबर को लगने वाले सूर्यग्रहण का कोरोना वायरस से सीधा संबंध है और आने वाले 21 जून के सूर्यग्रहण के दिन कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा।

उनका कहना है कि सूर्यग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा (fission energy) के कारण पहले न्यूट्रॉन के कण के संपर्क के बाद कोरोनो वायरस टूट गया है। दिसंबर 2019 से कोरोनो वायरस हमारे जीवन में तबाही मचाने आया है। मेरी समझ के अनुसार, 26 दिसंबर को आखिरी सूर्य ग्रहण होने के बाद सौर मंडल में ग्रहों की स्थिति में बदलाव हुआ है। डॉ. कृष्णा के मुताबिक, ग्रहों के बीच ऊर्जा में बदलाव के कारण यह वायरस ऊपरी वायुमंडल से उत्पन्न हुआ है। इसी बदलाव के कारण धरती पर उचित वातावरण बना। ये न्यूट्रॉन सूर्य की सबसे अधिक विखंडन ऊर्जा से निकल रहे हैं। न्यूक्लियर फॉर्मेशन की यह प्रक्रिया बाहरी मैटेरियल के कारण शुरू हुई होगी, जो ऊपरी वायुमंडल में बायो मॉलिक्यूल और बायो न्यूक्लियर के संपर्क में आने से हो सकता है। बायो मॉलिक्यूल संरचना (प्रोटीन) का म्यूटेशन इस वायरस का एक संभावित स्रोत हो सकता है।

डॉ. केएल सुंदर कृष्णा ने कहा कि म्यूटेशन प्रॉसेस सबसे पहले चीन में शुरू हुआ होगा। उन्होंने अपने दावे का कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया है। उन्होंने अपने दावे के साथ यह भी कहा कि हो सकता है कोरोना वायरस जानबूझकर किए गया प्रयास का नतीजा हो। उन्होनें कहा कि हमें कोरोना वायरस से घबराना नहीं चाहिए। यह सौरमंडल में होने वाली प्राकृतिक हलचल है। सूर्य की किरणें और सूर्य ग्रहण इस वायरस का प्राकृतिक इलाज हैं। आगामी सूर्यग्रहण कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। सूर्य की किरणों की तीव्रता वायरस को बेहद कमजोर कर देगी। 

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