Holi 2023: रंग और गुलाल का उत्सव होली आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाने की परंपरा है। मिठाइयों और पकवान के साथ होली की शुभकामनाएं लोग एक दूसरे को देते हैं। होली के बारे में तो ये भी कहा जाता है कि यह त्यौहार दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है। देश के अलग-अलग इलाकों में कई प्रकार की परंपराओं के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि इसी देश में कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहां होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। चौंकिए मत, विविध परंपराओं वाले इस देश में एक रंग ये भी है। कई इलाकों या गांव में होली नहीं मनाने के पीछे कुछ कारण और दिलचस्प कहानियां हैं। आईए, आज हम आपको उन जगहों और इससे जुड़ी कहानियों के बारे में बताते हैं, जहां होली नहीं खेली जाती है।
1. एक शाप और फिर नहीं मनाई गई यहां होली
हरियाणा के कैथल के गुहल्ला चीका के गांव में पिछले 150 साल से ज्यादा समय होली नहीं खेली जा रही है। इसके पीछे भी हैरान करने वाली एक कहानी है। ऐसा कहते हैं कि इस गांव में एक ठिगने कद के बाबा रहते थे। हमेशा लोग उनका मजाक बनाते। आखिरकार क्रोधित बाबा होलिका दहन के दिन अग्नि में कूद गए।
अग्नि में कूदने से पहले उन्होंने शाप दिया अब से जो भी इस गांव में होली मनाएगा, उसके परिवार का नाश हो जाएगा। इसके बाद से ही इस गांव में कभी कोई होली खेलने के बारे में नहीं सोचता। ऐसा भी कहते हैं कि मरने से पहले गांव वालों ने बाबा से माफी मांगी। बाबा ने फिर कहा कि अगर भविष्य में होली के दिन किसी के यहां पुत्र का जन्म होता है और उसी दिन गांव में कोई गाय बछड़े को भी जन्म देती है तो शाप खत्म हो जाएगा। लेकिन अभी तक ऐसा संयोग नहीं बन सका है।
2. गांव में आग और बंद हो गई होली
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से जुड़ी भी एक अजीबोगरीब कहानी है। कोरबा से करीब 35 किलोमीटर दूर खरहरी नाम के गांव में पिछले करीब 200 साल से होली नहीं मनाई जा रही है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस गांव में भीषण आग लगी थी और उसके बाद महामारी फैल गई और लगातार लोगों की मौतें होने लगी। इस मुश्किल से छुटकारा पाने के लिए एक हकीम के सपने में देवी मां ने दर्शन दिए और होली नहीं मनाने को कहा। देवी ने कहा कि उनकी बात मानने से गांव में शांति वापस आ सकती है। इसके बाद से ही होली का त्योहार यहां कभी नहीं मनाया गया।
3. एक गांव जहां बस महिलाएं खेलती हैं होली
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के कुंडरा गांव में केवल महिलाएं ही रंगों और गुलाल से होली खेलती हैं। यहां पुरुष होली नहीं खेलते। होली के दिन वे या तो खेत में चले जाते हैं या फिर गांव से अलग कहीं दूर चले जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाएं होली खेल सकें। यहां लड़कियों और और बच्चों को भी होली खेलने की इजाजत नहीं है।
होली के दिन यहां गांव की महिलाएं राम जानकी मंदिर में एकत्र होती हैं और होली खेलती हैं। कहते हैं कि यहां होली के दिन मेमार सिंह नाम के एक डकैत ने एक ग्रामीण की हत्या कर दी थी। उसके बाद से यहां के लोगों ने होली खेलना बंद कर दिया। बाद में महिलाओं को होली खेलने की इजाजत मिली।
4. एक अजीब डर, यहां भी नहीं खेली जाती होली
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में पिछले करीब 125 साल से होली नहीं खेली गई है। ऐसा कहते हैं कि करीब 125 साल पहले होली के दिन ही गांव के प्रधान की यहां बावड़ी में डूबने से मौत हुई थी। इससे गांव वाले बहुत दुखी हुए और उनके मन में भय समा गया। इस घटना के बाद गांव वालों ने कभी होली नहीं मनाई।
5. रंग से महामारी और आपदा का डर
झारखंड के बोकारो के करीब दुर्गापुर में भी पिछले 100 साल से होली नहीं खेली गई है। यहां लोग डरत हैं कि अगर एक-दूसरे पर रंग लगाया या होली मनाई तो गांव में महामारी और आपदा आ सकती है। इसकी भी कहानी कई सालों पहले एक राजा के बेटे की होली के दिन मौत से जुड़ी है। कहते हैं कि उस घटना के बाद जब भी होली यहां खेली गई तो गांव में कोई बीमारी फैल जाती या कुछ अशुभ होता। इसके बाद राजा ने यहां कभी होली नहीं खेलने का आदेश दिया था।