Holashtak 2020: होलाष्टक दो नहीं तीन मार्च से हो रहा है शुरू, जानिए क्यों होली से पहले के 8 दिनों को कहा गया है अशुभ

By विनीत कुमार | Published: February 29, 2020 08:26 AM2020-02-29T08:26:02+5:302020-02-29T08:26:22+5:30

Holashtak 2020: पहले के 8 दिनों को हिंदू मान्यताओं में अशुभ कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

Holashtak 2020 date from 3rd March and why 8 days before Holi called unauspicious | Holashtak 2020: होलाष्टक दो नहीं तीन मार्च से हो रहा है शुरू, जानिए क्यों होली से पहले के 8 दिनों को कहा गया है अशुभ

होली से पहले होलाष्टक, 3 मार्च से होगा शुरू

Highlightsहोलाष्टक की शुरुआत इस बार 3 मार्च से हो रही है, अशुभ माना जाता है समयभगवान शिव और कामदेव से जुड़ी के पौराणिक कथा, 10 मार्च को होगी होली

Holashtak 2020:होली से पहले माने जाने वाले 8 अशुभ दिनों यानी होलाष्टक की शुरुआत 3 मार्च से हो रही है। होली मौज मस्ती और रंगों का त्योहार है और इस दिन से हिंदी कैलेंडर के अनुसार नये साल की भी शुरुआत होती है। हालांकि, इसके पहले के 8 दिनों को हिंदू मान्यताओं में अशुभ कहा गया है।

ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। पौराणिक कथाओं में होली का जुड़ाव भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद और उनकी भक्ति से नाराज असुर पिता हिरण्यकश्यप की कहानी से है। होलाष्टक की भी कहानी इससे जुड़ी है।

Holashtak 2020: होलाष्टक अशुभ क्यों माना जाता है?

पंचांग और हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है। ऐसे में इस बार होलाष्टक 3 मार्च से लग रहा है। इससे जुड़ी एक कथा भगवान शिव से जुड़ी है।

शिव पुराण से जुड़ी एक कथा के अनुसार असुर तारकासुर का वध करने के लिए शिव और देवी पार्वती का विवाह होना आवश्यक था। उसे वरदान हासिल था कि उसका वध शिव पुत्र के हाथों ही होगा। हालांकि, देवी सती के आत्मदाह के बाद शिव ने खुद को तपस्या में लीन कर लिया था। ऐसे में देवताओं ने भगवान शिव को तपस्या से विमुख करने की जिम्मेदारी कामदेव और देवी रति को सौंपी।

कामदेव ने अपने बाण से शिवजी की तपस्या भंग कर दी। शिवजी ने तब क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भंग कर दिया। यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। देवताओं और देवी रति ने इसके बाद शिवजी से क्षमा-याचना की जिसके बाद भोले शंकर ने आठ दिन बाद कामदेव को फिर से जीवित होने का वरदान दिया।

कहते हैं कि इसलिए ये आठ दिन अशुभ माने गये। कामदेव के जीवित होने के बाद पूरी सृष्टि में एक बार फिर प्रेम की बयार बहने लगी और रंगोत्सव मनाया गया।

होलाष्टक से जुड़ी एक दूसरी कथा के अनुसार प्रह्लाद की भक्ति से नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने होली से पहले के आठ दिनों में उन्हें अनेक प्रकार के कष्ट और यातनाएं दीं। इसलिए इसे अशुभ माना गया है।

Web Title: Holashtak 2020 date from 3rd March and why 8 days before Holi called unauspicious

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