लड़की ने दिया सांप को जन्म और होने लगी पूजा, पढ़िए चौहार घाटी के देव पशाकोट मंदिर से जुड़ी दिलचस्प कथा
By विनीत कुमार | Published: March 2, 2020 12:03 PM2020-03-02T12:03:58+5:302020-03-02T12:03:58+5:30
देव पशाकोट मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित है। चौहार घाटी में स्थित देव पशाकोट मंदिर से जुड़ी कहानी भी बेहद दिलचस्प है। लोग यहां आपने आपसी झगड़े के निपटारे के लिए भी आते हैं।
भारत जैसे देश में कई ऐसी पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां हैं जो अचंभित करती हैं। इसी में से एक हिमाचल के मंडी में चौहार घाटी में स्थित देव पशाकोट मंदिर से जुड़ी कहानी भी है। एक लड़की के सांप को जन्म देने और फिर आज भी उस सांप के नजर आने की ये कथा बेहद दिलचस्प है।
देव पशाकोट चौहार घाटी के प्रमुख देवता हैं। स्थानीय लोगों की उनमें गजब की आस्था है। वे यहां पूजा करने के साथ-साथ मन्नत मांगने और अपनी परेशानियों का समाधान मांगने आते हैं। लोग यहां आपने आपसी झगड़े के निपटारे के लिए भी आते हैं।
देव पशाकोट मंदिर से जुड़ी मान्यता काफी पुरानी
देव पशाकोट का प्राचीन मंदिर देवगढ़ गांव में है। करीब दो साल पहले ही यहां पुराने मंदिर की जगह नये मंदिर का निर्माण कराया गया है। पुराना मंदिर करीब 600 साल से भी पहले का है। कुछ साल पहले ही पुरानी सराय में निवास कर रहे देव पशाकोट को नये मंदिर में विधिवत विराजमान कराया गया है। इस मंदिर का निर्माण काष्ठ कुणी शैली में किया गया है और यही इसकी खासियत भी है।
खाली पेट हुआ देव पशाकोट मंदिर निर्माण का कार्य
देव पशाकोट मंदिर के निर्माण में काफी समय लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका निर्माण हर रोज कारीगर खाली पेट करते थे। कहते हैं कि ऐसा देव पशाकोट के आदेश से किया गया था। भोजन के बाद निर्माण कार्य करने की इजाजत नहीं थी। मंदिर के मुख्य दरवाजे पर भगवान शिव और हनुमान जी के चित्र उकेरे गये हैं। पूरे चौहार घाटी के लोग देव पशाकोट की साक्षात देवता के रूप में पूजा करते हैं।
देव पशाकोट से जुड़ी हैरान करने वाली कथा
देव पशाकोट से जुड़ी पौराणिक कथा मराड़ नाम की जगह से जुड़ी है। कथा के अनुसार एक चरवाहे की बेटी पशुओं को चराने लिए मराड़ जाती थी। वहीं एक सरोवर भी था। लड़की जब थक जाती तो वहीं बैठ जाती और उस सरोवर का जल पी लेती। हालांकि, हर रोज जब वह जल पीने जाती तो उसे एक आवाज 'गिर जाऊं' सुनाई देती। लड़की को कुछ समझ नहीं आता तो वह इसका कोई जवाब भी नहीं देती और चुपचाप शाम तक वापस लौट आती।
इस दौरान लड़की का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा था। एक दिन उस लड़की की मां ने आखिरकार पूरी बात पूछी। इस पर लड़की ने सरोवर वाली घटना का जिक्र किया। इस पर मां ने कहा कि अगली बार जब 'गिर जाऊं' की आवाज आए तो कह दे कि गिर जाओ। दूसरे दिन लड़की फिर वहां गई और वही आवाज सुनाई दी। मां की बात का ध्यान कर लड़की ने कहा 'गिर जाओ'।
गायब हुई लड़की फिर सांप को दिया जन्म
कहते हैं कि लड़की के गिर जाओ कहते ही वहां स्थित पहाड़ गिर गया। वहां जमकर बारिश हुई लड़की भी गायब हो गई। वह पानी में बहते हुए टिकन पहुंच गई। इसी जगह पर आज देव पशाकोट का मंदिर है। कथा के अनुसार पशाकोट देव ने उस लड़की से विवाह से कर लिया। जब काफी समय बित गया तो लड़की एक दिन अपने मायके मराड़ पहुंची। वहां उसने सांपों को जन्म दिया।
यह देख मां हैरान रह गई और सांपों को मारने की कोशिश की लेकिन तभी लड़की और सांप गायब होकर एक बार फिर टिकन पहुंच गए।
कथा के अनुसार यही सांप महानाग, अजियापाल और ब्रह्मा देव के नाम से प्रसिद्ध हुए। कहते हैं कि आज भी पशाकोट देव हर तीन साल पर सांप के रूप में मराड़ जाते हैं। ये भी मान्यता है कि वे उसी नदी से होकर जाते हैं जहां वह लड़की पानी पीती थी। इस मौके पर यानी देव पशाकोट के वहां पहुंचने पर नदी के आस-पास के लोगों को ढोल-नगाड़ों की आवाज सुनाई देती है।
इस मौके पर मराड़ में मेला भी लगता है। यह जगह लोहारडी के पास है। लोहारडी के आसपास 11 गांव हैं। इसलिए हर गांव के हर घर के सदस्य को इस मौके पर मराड़ जाना जरूरी होता है। लोग यहां आते हैं और चढ़ावा चढ़ाते हैं। साथ ही मन्नत भी मांगते हैं।
नदी के पास मराड़ में एक फटा हुआ पत्थर है जिस पर इन दिनों में सांप भी देखे जाने की बात कही जाती है। कहते हैं कि देव पशाकोट जब मराड़ से वापस टिकन आते हैं तो कुछ श्रद्धालुओं को सांप के रूप में इसी पत्थर पर उनके दर्शन होते हैं।