Hariyali Teej 2023: इस साल कब मनाई जाएगी हरियाली तीज? जानें हरतालिका और हरियाली तीज में अंतर और मनाने का तरीका
By अंजली चौहान | Published: July 27, 2023 06:42 PM2023-07-27T18:42:23+5:302023-07-27T18:42:38+5:30
हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो सावन महीने में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन आता है और भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
Hariyali Teej 2023: हिंदू धर्म में हर त्योहार और तीज व्रत का काफी महत्व होता है। सावन महीने में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन हरियाली तीज मनाई जाती है जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व है।
हरियाली तीजभगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए करती है। वहीं, कई कुवारी कन्याएं भी भगवान शिव से अच्छे वर की मांग को लेकर हरियाली तीज के दिन पूजा और व्रत करती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, यह वह दिन है जब देवी ने शिव की तपस्या में 107 जन्म बिताने के बाद पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
अपने 108वें जन्म में देवी पार्वती अंततः उन्हें जीत सकीं और उन्हें 'तीज माता' के नाम से भी जाना जाने लगा। यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान राज्यों में हालांकि थोड़ी अलग परंपराओं के साथ।
कब है हरियाली तीज?
नाग पंचमी से दो दिन पहले 19 अगस्त, शनिवार को हरियाली तीज मनाई जाएगी। सावन और भाद्रपद के महीनों से जुड़े कुल तीन मुख्य तीज त्योहार हैं, जिनके नाम हैं हरियाली तीज (19 अगस्त), हरतालिका तीज (18 सितंबर) और कजरी तीज (2 सितंबर)।
इनमें से प्रत्येक तीज त्योहार उन विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है जो दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं। सबसे पहले 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज मनाई जाएगी।
इस दिन महिलाएं अपने हाथों को सुंदर मेहंदी डिजाइनों से सजाती हैं, हरे या लाल रंग की पारंपरिक पोशाक पहनती हैं और अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। यहां तक कि अविवाहित लड़कियां भी कभी-कभी उपयुक्त जीवनसाथी पाने के लिए व्रत रखती हैं।
हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?
हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली हरियाली तीज राजस्थान, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में हिंदू महिलाओं के लिए सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इसे छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने माता-पिता के घर जाती हैं और अपनी मां और सास से कपड़े, आभूषण, मेकअप जैसे उपहार प्राप्त करती हैं। तीज के दिन महिलाएं स्नान करती हैं और अपने सबसे अच्छे पारंपरिक परिधान पहनती हैं अपने हाथों को मेहंदी से सजाती हैं।
चूड़ियाँ और अन्य आभूषण पहनती हैं और एक आनंदमय वैवाहिक जीवन के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वे दिन भर बिना भोजन या पानी के उपवास करते हैं और अगले दिन सूर्योदय से पहले भीगे हुए काले चने और खीरे के साथ उपवास तोड़ते हैं। इसके बाद, एक भव्य भोजन तैयार किया जाता है जिसका पूरा परिवार आनंद लेता है।
हरियाली तीज से कैसे अलग है हरितालिका तीज?
हरियाली तीज को अक्सर हरतालिका तीज के साथ भ्रमित किया जाता है। जबकि दोनों की पूजन विधि एक समान है। हरियाली तीज को हरितालिका तीज से एक महीने पहले मनाया जाता है।
जहां हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है, वहीं हरतालिका तीज उस दिन को चिह्नित करने के लिए मनाई जाती है जब पार्वती की सहेलियों ने उनका अपहरण कर लिया था (हरत का अर्थ है अपहरण करना) और उन्हें गहरे जंगलों में ले गईं क्योंकि उनके पिता उनकी शादी भगवान विष्णु से कराने पर तुले हुए थे। माँ पार्वती ने वहाँ अपनी तपस्या जारी रखी और अंततः भगवान शिव से विवाह किया।
(डिस्क्लेमर: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। लोकमत हिंदी इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।)