Guru Purnima 2024: इस साल गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है यह शुभ योग, जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: July 11, 2024 14:00 IST2024-07-11T14:00:03+5:302024-07-11T14:00:03+5:30
Guru Purnima 2024 Date: इस साल गुरु पूर्णिमा पर्व 21 जुलाई, रविवार को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

Guru Purnima 2024: इस साल गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है यह शुभ योग, जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में यह पर्व गुरुओं के प्रति सम्मान, श्रद्धा एवं समर्पण के प्रतीक को दर्शाता है। हिन्दू संस्कृति में गुरु को सदैव ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मसूत्र, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं को उपहार देते हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद लेते हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा पर्व 21 जुलाई, रविवार को मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा 2024 तिथि
आषाढ़ मास की पूर्णिमा प्रारंभ - 20 जुलाई को शाम 5 बजकर 59 मिनट से
आषाढ़ मास की पूर्णिमा समापन - 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर
गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है शुभ योग
इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग एक विशिष्ट प्रकार का योग है। जो सप्ताह के किसी विशेष दिन कुछ नक्षत्रों के पड़ने पर बनता है। इस योग में नए कार्यों या व्यवसाय को करने के लिए शुभ माना जाता है। इस योग में जो भी कार्य किया जाता है उसमें सिद्धि प्राप्त होती है।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करें।
सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर में पूजा अर्चना कर गुरुओं की प्रतिमा पर माला अर्पित करें।
इसके बाद गुरु के घर जाएं और उनकी पूजा कर उपहार देते हुए आशीर्वाद लें।
जिन लोगों के गुरु इस दुनिया में नहीं रहे, वे गुरु की चरण पादुका का पूजन करें।
वेदव्यास जी बने प्रथम गुरु
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वेद व्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। महर्षि वेद व्यास ने मानव जाति को पहली बार चार वेदों का ज्ञान दिया था इसलिए उनको मानव जाति का प्रथम गुरु भी माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु का हमारी जिंदगी में सबसे बड़ा योगदान होता है। गुरु हमें अंधकार की राह से प्रकाश के मार्ग की ओर ले जाने का कार्य करता है। गुरु की इसी महानता को देखते हुए संत कबीर दास ने लिखा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये। गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर बताया जाता है। हम अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का दृढ़ता के साथ सामना करते हैं। गुरुओं के चरण वंदना से हमारा जीवन सफल होता है। गुरु बिन ज्ञान न होए अर्थात इस संसार में बिना गुरु के ज्ञान के हमारा कल्याण संभव नहीं है।