Guru Gobind Singh Death Anniversary 2019: गोबिंद सिंह ने दिया था 'पांच ककार' के इस्तेमाल का आदेश, की थी खालसा पंथ की स्थापना
By मेघना वर्मा | Published: October 7, 2019 07:52 AM2019-10-07T07:52:38+5:302019-10-07T07:52:38+5:30
गुरू गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था। उनका पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए बीता और सच्चाई की राह पर चलते हुए उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी।
सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह की आज पुण्यतिथी है। गुरु गोबिंद सिंह को त्याग की प्रतिमूर्ति भी कहा जा सकता है। पटना के साहिब में साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह ने ही खालसा पंथ की स्थापना भी की थी। सिखों के इतिहास में इसे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
गुरू गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था। उनका पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए बीता और सच्चाई की राह पर चलते हुए उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी। गुरु गोबिंद सिंह के उदाहरण और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
पांच ककार इस्तेमाल करने की दी थी सलाह
बताया जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंत की रक्षा के लिए कई बार मुगलों से मुकाबला किया था। सिखों के लिए पांच ककार यानी केश, कड़ा, कंघा, कृपाण और कक्षा को धारण करने का आदेश भी गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन चीजों को धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है।
बहुत सारी भाषाओं का था ज्ञान
गुरु गोबिंद सिंह को बहुत सारी भाषाओं का ज्ञान भी था। उनको उनकी सौम्यता और क्षमता के लिए जाना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखीं थीं। साथ ही उन्होंने धनुष-बाण, तलवार भाला चलाने की कला में भी निपुण थे।
गुरु गोबिंद सिंह ने ही सिक्खों को अपने धर्म, जन्मभूमि और स्वयं अपनी रक्षा करने के लिए संकल्पबद्ध किया और उन्हें मानवता का पाठ पढ़ाया था। गुरु गोबिंद सिंह ने ही केशगढ़साहिब में आयोजित सभा में गुरु गोविंद सिंह ने पहली बार पंच प्यारों को अमृत छकाया था। जिसे देश के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना बताई जाती है।