Govardhan Puja/Annakoot 2020:गोवर्धन पूजा(Govardhan Puja 2020) या अन्नकूट उत्सव पूरे देश में (Annakoot Utsav 2020) दिवाली (Diwali 2020) के अगले दिन यानी आज रविवार के दिन मनाया जा रहा है। गोवर्धन पर्वत या गिरिराज पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली से ऊपर उठाकर भारी बारिश से बृजवासियों के प्राणों की रक्षा की थी। तभी से गोवर्धन पूजा की जाने लगी। भगवान श्री कृष्ण ने ही गोवर्धन पूजा करने के लिए कहा था। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाए जाने की परंपरा रही है। गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। 14 नवंबर को दिवाली मनाई गई। आज 15 नवंबर को गोवर्धन पूजा है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्तइस पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन स्वरूप की पूजा की जाती है। उन्हें 56 भोग और अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाए जाने की परंपरा है। इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 15 नवंबर, सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर शुरू हो रही है। यह 16 नवंबर की सुबह 07 बजकर, 5 मिनट तक रहेगी। गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर, 19 मिनट से शाम 5 बजकर, 26 मिनट तक रहेगा।
गोर्वधन पूजा की विधिमान्यता है कि अगर इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान गोवर्धन की पूजा की जाए तो भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए गोर्वधन पूजा करने के लिए इसकी विधि अच्छी तरह समझना बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले गाय के गोबर से चौक और पर्वत बनाएं। इसके बाद इसे अच्छी तरह सुंदर फूलों से सजाएं। अब रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर रखें और दीप जलाकर भगवान गोवर्धन की पूजा करें। जब पूजा संपन्न हो जाए तो भगवान गोवर्धन की सात बार परिक्रमा जरूर करें। इस दौरान ध्यान रखें कि आपके हाथों में जल जरूर होना चाहिए। जल को किसी लोटे में लेकर इस तरह परिक्रमा करते रहें कि जल थोड़ा-थोड़ा गिरता जाए। गोवर्धन पूजा जब संपन्न हो जाए तो अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाएं। इसे घर के सभी लोगों को दें।
गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथामान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। श्रीकृष्ण ने इन्द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं।