गंगा दशहरा के मौके पर नदियों और खासकर गंगा नदीं में स्नान का खास महत्व है। पूरे देश में यही दृश्य भी आज नजर आ रहा है। देश भर में इस दिन बड़ी संख्या में लोगों के गंगा या फिर दूसरी पवित्र नदी में डुबकी का दृश्य अखबारों और टीवी में छाया रहता है। मान्यता है कि गंगा में डुबकी लगाने से दस प्रकार के पाप धुल जाते हैं। इस बार गंगा दशहर आज यानी 12 जून (बुधवार) को मनाया जा रहा है।
ऐसे में अगर आप भी गंगा दशहरा के दिन गंगा में डुबकी लगाने की सोच रहे हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इस दिन पूजा करें और ऐसे मंत्र पढ़ें, जिससे आपको फायदा मिलेगा और सारी मनोकामना पूर्ण होगी। गंगा में स्नान करते समय मां गंगा से अपने सभी पापों की क्षमा जरूर मांगे और इस मंत्र का जाप करें। ये मंत्र है-
गंगा स्नान का मंत्रगंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
मां गंगा से जुड़ा यह एक पवित्र और चमत्कारी मंत्र है। पूरी निष्ठा इसे पढ़ने से आपको अपने कार्यों में सफल होने की प्रेरणा मिलती है और मन और तन से भी सभी पापों से दूर होते हैं। इस मौके पर पूजन के बाद मां गंगा की आरती भी आप पढ़ सकते हैं। ये आरती है-
हर हर गंगे, जय मां गंगे,हर हर गंगे, जय मां गंगे॥
ओम जय गंगे माता श्री जय गंगे माता।जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता।शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता॥ ओम जय ॥
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता॥ ओम जय ॥
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता।यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता॥ ओम जय ॥
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता॥ ओम जय ॥
ओम जय गंगे माता श्री जय गंगे माता।जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता॥