Ekadanta Sankashti Chaturthi 2020: गणेश जी से शादी करने को तैयार नहीं थी कोई लड़की, फिर ब्रह्मा जी ने किया ऐसा-पढ़ें गणपति की विवाह कथा
ठळक मुद्देशादी के बाद भगवान गणेश को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई। सारे देवता ब्रह्मा जी की शरण में गए और उनसे सारी बातें कहीं।
भगवान गणेश को हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है। हर शुभ काम की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाता है। भगवान गणेश से जुड़े हुए सभी व्रतों पर लोग उनकी उपासना करते हैं। इन्हीं व्रतों में से एक है संकष्टी चतुर्थी का पर्व।
पंचाग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी को भगवान गणेश की एकदंत संकष्टी चतुर्थी का तीज पड़ता है। इस बार ये पर्व 10 मई को पड़ रहा है। माना जाता है कि जो भी उपासक इस दिन गणेश भगवान की पूजा करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
वहीं पुराणों में श्री गणेश के कई प्रसंग सुनने को मिलते हैं। मगर क्या आपने कभी सुना है कि गणेश जी का विवाह किस प्रकार हुआ था। आइए एकदंत संकष्टी चतुर्थी के मौके पर आपको सुनाते हैं गणेश विवाह की व्रत कथा-
कोई लड़की शादी को नहीं थी तैयार
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी से कोई भी लड़की शादी के लिए तैयार नहीं थी। इसका कारण ये था कि उनका हाथी का सिर और उनका वाहन चूहा। भगवान परशुराम के युद्ध करते हुए गणेश जी का एक दांत भी टूट गया था। इसी वजह से कोई भी लड़की उनसे विवाह नहीं करना चाहती थी।
पहुंचे ब्रह्मा जी की शरण में
वहीं दूसरे देवताओं के विवाह में गणेश जी की सवारी मूषक या चूहा उनके मंडप को खराब कर दिया करता था। इस वजह से सभी देवता परेशान हो गए थे। तभी सारे देवता ब्रह्मा जी की शरण में गए और उनसे सारी बातें कहीं। उस समय ब्रह्मा जी तपस्या में लीन थे। बह्मा जी ने अपने योग बल से दो कन्याएं अवतरित की। दोनों का नाम था ऋद्धि और सिद्धि।
गणेश जी ने दी शिक्षा
ब्रह्मा जी दोनों कन्याओं के लेकर गणेश जी के पास पहुंचे और उनसे दोनों को शिक्षा देने की बाद कही। गणेश जी तैयार हो गए। दोनों कन्याएं गणेश जी के पास ही रहने लगीं। जब भी चूहा गणेश जी के पास किसी देवता के विवाह की खबर लेकर आता तो दोनों कन्याएं उन्हें पढ़ाई में व्यस्त कर लेती।
जब गणेश जी को आ गया क्रोध
एक दिन चूहे ने गणेश जी को बताया कि एक देवता का विवाह हो गया वो भी बिना किसी परेशानी के। चूहे की बातें सुनकर गणेश जी को पूरा मामला समझ आ गया। गणेश जी क्रोधित हो गए और ऋद्धि-सिद्धि के साथ ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने उनका गुस्सा शांत करते हुए कहा कि इन दोनों को आपने शिक्षा दी है, मुझे इनके लिए आपके अच्छा कोई वर नहीं मिलेगा। आप इनसे शादी कर लें।
इसके बाद गणेश जी ने दोनों से शादी कर ली। शादी के बाद भगवान गणेश को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई।