चांद के दीदार के बाद आज 25 मई को देश भर में ईद का त्योहार मनाया जाएगा। रमजान के पाक महीने के खत्म होते ही मुसलिम समुदाय के इस सबसे बड़े पर्व को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है।
इस साल की ईद कुछ अलग है। कोविड-19 और लॉकडाउन के चलते लोग अपने घरों में रहकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करके ही ईद मनाएंगे। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को ईद की बधाई दे दी है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके लिखा,'ईद मुबारक, ईद उल फितर की सभी को बधाई। इस विशेष अवसर पर करुणा, भाईचारे और सद्भाव की भावना को आगे बढ़ाएं। सभी लोग स्वस्थ और समृद्ध रहें।'
वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी लोगों को ईद की बधाई देते हुए लिखा, 'ईद मुबारक! यह त्योहार प्रेम, शांति और भाईचारे का प्रतीक है। ईद पर हमें समाज के जरूरतमंद लोगों का दर्द बांटने और उनके साथ ख़ुशियाँ साझा करने की प्रेरणा मिलती है।
आइए, इस मुबारक मौके पर हम ज़कात की भावना को मजबूत बनाएं और कोविड-19 की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।'
रमजान के आखिरी दिन चांद देखकर लोगों ने ईद आज मनाई है। उम्मीद की जा रही थी कि शनिवार यानी 23 मई को ईद का चांद दिखे तो 24 मई को ईद मनायी जाएगी। अब 24 मई को चांद दिखाई दिया तो आज देश भर में ईद मनायी जा रही है।
ईद उल फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है। इस दिन लोग घरों में मीठे पकवान बनाते हैं। इस दिन सेवईं बनाना अच्छा माना जाता है। लोग इस दिन 30 रोज रखने वाले रोजे को तोड़ते हैं। एक-दूसरे के गले मिलते हैं और सारे गिले-शिकवे दूर करते हैं। मगर इस बार कोरोना वायरस और कोविड-19 के चलते ऐसा करना उचित नहीं हैं। नमाज पढ़ने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना जरूरी हैं।
दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि 25 मई को मनाएंगे, क्योंकि आज चांद नहीं देखा गया। यह महत्वपूर्ण है कि हम सावधानी बरतें और सोशल डिस्टेंशिंग बनाए रखें। हमें हाथ मिलाने और गले मिलने से दूर रहना चाहिए। हमें सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
ईद-उल-फितर का इतिहास
मान्यता है कि शव्वाल महीने के पहले दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे। मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ था। बताया ये भी जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में इस दिन जीत हासिल की थी। तभी से इस दिन लोग सेवईं खाकर मुंह मीठा करते हैं और ईद मनाते हैं।