Eid-e-Milad-Un-Nabi 2021: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी आज, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया मुबारकबाद
By रुस्तम राणा | Published: October 19, 2021 07:42 AM2021-10-19T07:42:02+5:302021-10-19T08:00:38+5:30
इस पर्व को पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस्लाम में यह त्योहार बारावफात के नाम से जाना जाता है। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को रात में दुआएं पढ़ने और जुलूस निकालने की परंपरा है।
Eid-e-Milad-Un-Nabi 2021 Date: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर्व आज है। इस्लाम को मानने वाले लोग आज यह पर्व धूम धाम के साथ मना रहे हैं। यह इस्लाम मजहब का प्रमुख त्योहार है। इसे पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस्लाम में यह त्योहार बारावफात के नाम से जाना जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने समस्त देशवासियों को मुबारकबाद दी है।
पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिन, ईद-ए-मिलाद-उन-नब़ी के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों, विशेष रूप से हमारे मुस्लिम भाइयों-बहनों को मुबारकबाद देता हूं। आइए, हम सब पैगम्बर मुहम्मद के जीवन से प्रेरणा लेकर, समाज की खुशहाली के लिए और देश में सुख शांति बनाए रखने हेतु कार्य करें।
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 19, 2021
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को रात में दुआएं पढ़ने और जुलूस निकालने की परंपरा है। आज दिन इस्लाम धर्म का पालन करने वाले मस्जिदों व घरों में कुरान को पढ़ते हैं और नबी के बताए नेकी के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं। पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस पर घरों को सजाया जाता है, साथ ही मस्जिदों को भी रौशन किया जाता है। जकात इस्लाम में बेहद अहम माना जाता है। मान्यता है कि जरूरतमंद व निर्धन लोगों की मदद करने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं।
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, 571 ई. में इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे माह रबी अल अव्वल की 12 तारीख को अंतिम पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था। सउदी अरब के मक्का में उनका जन्म हुआ था। उनकी माताजी का नाम अमीना बीबी और पिताजी का नाम अब्दुल्ला था। वे पैगंबर हजरत मोहम्मद ही थे जिन्हें अल्लाह ने सबसे पहले पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश जन-जन तक पहुंचाया।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, पैंगबर मोहम्मद साहब को खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल के जरिए कुरान का संदेश दिया था। पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन समारोह को लेकर मुस्लिम समुदाय के कई अलग-अलग वर्गों का मानना है कि जन्मदिन समारोह का इस्लामी संस्कृति में कोई स्थान नहीं है, जबकि भारत में उनके जन्मदिन को मनाने की परंपरा का व्यापक रूप से पालन किया जाता है।