Durga Ashtami 2020: सुंदर पत्नी, अच्छे जीवन, मुक्ति के लिए आज करें इन 11 मंत्रों का जाप, 7 दिन में दिखेगा असर
By गुणातीत ओझा | Published: October 24, 2020 01:39 AM2020-10-24T01:39:26+5:302020-10-24T11:36:33+5:30
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि आज 24 अक्टूबर को शनिवार के दिन है। दुर्गा अष्टमी की रात को तंत्र साधना के जानकर अपनी कामना पूर्ति के लिए अनेक तांत्रिक क्रियाएं और तंत्र मंत्रों का जप करते हैं।
Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि आज 24 अक्टूबर को शनिवार के दिन है। दुर्गा अष्टमी की रात को तंत्र साधना के जानकार अपनी कामना पूर्ति के लिए अनेक तांत्रिक क्रियाएं और तंत्र मंत्रों का जप करते हैं। कहा जाता है दुर्गा अष्टमी की रात जो भी उपाय किए जाते हैं, उनका शुभ फल मिलता ही है। तंत्र शास्त्र के अनुसार दुर्गा सप्तशती में दिए गए केवल इन 11 मंत्रों का जप नवरात्रि के पूरे नौ दिन या फिर केवल दुर्गा अष्टमी की रात में करने से सभी मनोकामनाएं माँ दुर्गा पूरी कर देती है।
मंत्र जप विधि
दुर्गा सप्तशती के नीचे दिए गए 11 मंत्रों का जप करने से पहले रात्रि में 10 बजे से पहले स्नान कर सफेद या पीले वस्त्र पहन लें। माता दुर्गा के सामने गाय के घी का एक दीपक जलावें। माता का विधिवत पूजन करने के बाद लाल रंग या कुशा के आसन पर बैठकर 108 बार लाल चंदन की माला से मंत्र का जप करें।
1- सुंदर पत्नी के लिए
मंत्रपत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।
2- गरीबी मिटाने के लिए
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्यासर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।
3- रक्षा के लिए
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
4- स्वर्ग और मुक्ति के लिए
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।
5-मोक्ष प्राप्ति के लिए
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्याविश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतु:।।
6- सपने में सिद्धि-असिद्धि जानने के लिए
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
7- सभी के कल्याण के लिए मंत्र
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्यानिश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यांभकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न:।।
8- भय नाश के लिए
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तोब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनायनाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।।
9- रोग नाश के लिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणांत्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
10- बाधा शांति के लिए
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनासनम्।।
11- विपत्ति नाश के लिए मंत्र
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीदप्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वंत्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।