दिवाली पूजा पर न भूलें ये चीजें, जान लें लक्ष्मी पूजा का शुभ-मुहूर्त, पूजन सामग्री, पूजा विधि एवं कथा

By रुस्तम राणा | Published: October 23, 2022 02:29 PM2022-10-23T14:29:09+5:302022-10-23T14:29:09+5:30

Diwali Puja 2022 Date: इस साल 24 अक्टूबर 2022 को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक अमावस्या पर दीपावली मनाई जाती है।

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दिवाली पूजा पर न भूलें ये चीजें, जान लें लक्ष्मी पूजा का शुभ-मुहूर्त, पूजन सामग्री, पूजा विधि एवं कथा

Diwali Puja 2022:दिवाली पर्व हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार देश और दुनियाभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस साल 24 अक्टूबर 2022 को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक अमावस्या पर दीपावली मनाई जाती है। इस दिन गणेश पूजा के साथ-साथ लक्ष्मी पूजन का विधान है। दिवाली के दिन लोग मिठाई और तोहफा देकर एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। वहीं रात में दीपक, मोमबत्तियों और रंग-बिरंगी रौशनी से घरों को सजाया जाता है। आइए जानते हैं दिवाली में लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त, पूजा विधि क्या और कथा कथा के बारे में।

दिवाली में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि आरंभ - 24 अक्टूबर को शाम 05.27 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 25 अक्टूबर को शाम 04.18 बजे
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 06.44 बजे से रात्रि 08.05 बजे तक

पूजन सामग्री

रोली, मौली, धूप, अगरबत्ती, कर्पूर, केसर, चंदन, अक्षत, जनेऊ 5, रुई, अबीर, गुलाल, बुक्का, सिंदूर, कोरे पान डन्ठल सहित 10, साबुत सुपारी 20, पुष्पमाना, दूर्वा, इत्र की शीशी, छोटी इलायची, लवंग, पेड़ा, फल, कमल, दुध, दही, घी, शहद, शक्कर, पांच पत्ते, हल्दी की गांठ, गुड़, सरसों, कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, हवन सामग्री का छोटा पैकेट, गिरी गोला-2, नारियल 2, देवी लक्ष्मी की मूर्ति, भगवान गणेश की मूर्ति, सिंहासन, वस्त्र, कलम, बही खाते, ताम्र कलश या मिट्टी का कलश, पीला कपड़ा आधा मीटर, सफेद कपड़ा आधा मीटर, लाल कपड़ा आधा मीटर, सिक्के, लक्ष्मी पूजन का चित्र, श्री यंत्र का चित्र और कमल गट्टे की माला आदि।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन विधि

सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें, पूजा स्थल पर गंगा जल छिड़कें। गणेश जी और मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा पर भी गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लकड़ी की चौकी में लाल वस्त्र बिछाकर उसमें मुट्ठीभर अनाज रखें। कलश को अनाज के ऊपर रखें और उसमें थोड़ा जल भरें। अब इसमें एक सुपारी (सुपारी), गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें। कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार और ऊपर से नारियल रखें। अब अपने व्यापार से संबंधित पुस्तकें रखें। मां लक्ष्मी और गणपति महाराज की प्रतिमा में तिलक करें और मंत्र सहित उनकी आराधना करें। मां लक्ष्मी को नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें। पूजा के अंत में लक्ष्मी जी की आरती करें।

दिवाली की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एकबार मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के बीच चर्चा चल रही तो तभी धन की देवी ने कहा कि मैं धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, सौहाद्र देती हूं, मेरी कृपा से भक्त को सर्व सुख प्राप्त होता है। ऐसे में मेरी ही पूजा सर्वश्रेष्ठ है। मां लक्ष्मी के इस अहम को विष्णु जी ने भांप लिया और उनके अहंकार को तोड़ने का फैसला किया। विष्णु जी ने कहा देवी आप श्रेष्ठ है लेकिन संपूर्ण नारीत्व आपके पास नहीं है, क्योंकि जब तक किसी स्त्री को मातृत्व का सुख न मिले वो उसका नारीत्व अधूरा रहता है।

मां लक्ष्मी श्रीहरि की बात सुनकर निराश हो गईं। देवी मां पार्वती के पास पहुंची और उन्हें सारी बात बताई। जगत जननी मां पार्वती ने लक्ष्मी जी की पीड़ा देखते हुए अपने एक पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में सौंप दिया। देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न हुईं और उन्होंने भगवान गणेश को अपनी सिद्धियां, धन, संपत्ति, सुख गणपति को प्रदान करने की बात कही। देवी ने घोषणा की कि साधक को धन, दौलत, ऐश्वर्य की प्राप्ति तभी होगी लक्ष्मी के साथ गणेश जी की उपासना की जाएगी, तब से ही दिवाली पर इनकी आराधना की जाती है।

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